” (५०० पेज की पुस्तक में गढ़वाल की बहुत जानकारी मिलेगी)
युवा लोकसाधक गिरीश सुन्दरियाल की तीन वर्षाें की साधना के बाद यह किताब बनकर तैयार हुई है। यह किताब गढ़वाल की लोकगाथाओं का वृहद संग्रह है। इस संग्रह में गढ़वाल क्षेत्र की कुल 42 गाथाएं संग्रहीत हैं।
जिन्हें चार खंडों जागर वार्ता, पवांड़ा, चैती गाथाओं और प्रेम गाथाओं में विभक्त किया गया है। इस संग्रह में अनेक ऐसी गाथाएं हैं जिन्हें पहली बार मुद्रित रूप में प्रकाश में लाया जा रहा है। पुस्तक में दी गई गाथाओं का हिन्दी रूपान्तरण भी गाथा के अंत में दिया गया है। पुस्तक के सम्पादन में वरिष्ठ साहित्यकार व इतिहास के जानकार रमाकांत बेंजवाल, शिक्षक, साहित्यकार बीना बेंजवाल जी द्वारा भी विशेष सहयोग किया गया। पुस्तक का आवरण चर्चित चित्रकार राकेश राका द्वारा बनाया गया है।
गाथाओं के संकलनकर्ता व संपादक गिरीश सुन्दरियाल जी ने यह प्रयास किया है कि गढ़वाल के सभी क्षेत्रों की गाथाएं पुस्तक में शामिल रहें। पुस्तक में सुदूर सीमांत उत्तरी गढ़वाल से दक्षिणी गढ़वाल व पश्चिमी गढ़वाल की लोकगाथाएं भी शामिल है। Girish Sundriyal रमाकांत बेंजवाल बीना बेंजवाल Dharmendra Negi Madan Duklan 500 पृष्ठों की यह पुस्तक लोक में रुचि रखने वाले पाठकों के लिए उपयोगी होगी। पाठकों को इसमें काफी कुछ नया पढ़ने को मिलेगा।