

लहसुन, मटर, अदरक बीज वितरण किसानों की शिकायत है इस वित्तीय बर्ष 2025- 26 में उद्यान विभाग द्वारा मसाला क्षेत्र फल विस्तार योजना, परम्परागत कृषि विकास योजना एवं जिला योजना के अन्तर्गत आपूर्ति किया गया लहसुन बीज के नाम पर मंडियों से क्रय किया लहसुन निम्न स्तर का है साथ ही बाजार भाव से काफी मंहगा है। जनपद रुद्रप्रयाग के कृषक एस एस रौथाण का कहना है कि इस वर्ष उद्यान बिभाग ने लहसुन बीज 170 रूपए किलो बेचा और इससे अच्छा बीज 95 रूपए किलो बाजार मे उपलब्ध है।जनपद पौड़ी पांवों के कृषक रवीन्द्र रावत का कहना है कि पाबो में उद्यान विभाग १७५ रुपए किलो लहसुन दे रहा है जबकि रिटेल में ८० रुपए पर किलो मिल रहा है।क्या ? State Horticulture Mission (SHM) या निदेशालय द्वारा, आपूर्ति किया गया लहसुन बीज Truthfully labelled (TL) बीज है कि नहीं जांच की गई है , जांच का विषय है। लहसुन बोने का समय चला गया तब लहसुन बीज आ रहा है। कहीं कहीं तो जिलों में फर्म से केवल लहसुन के बिल ही लिए जा रहे हैं तथा किसानों के नाम पर बिना उद्यान कार्ड में अंकित किए वितरित होना दिखाया जा रहा है जो कि जांच का विषय है।


जानकारी मिली है कि जिस फर्म द्वारा विगत बर्ष याने 2024-25 में लहसुन बीज आपूर्ति की थी इस वित्तीय वर्ष में भी उसी फर्म की दरें इस वित्तीय बर्ष 2025-26 के अक्टूबर माह तथा बड़ा दी गई है। विगत बर्ष बाजार में लहसुन काफ़ी महंगा था उद्यान विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से ये दरें इस बर्ष भी लागू कर दी गई है। उद्यान विभाग द्वारा 50% अनुदान पर कृषकों को उद्यान सचल दल केन्द्रों द्वारा 170 रुपये प्रति किलो की दर पर उपलब्ध कराया जा रहा है याने विभाग द्वारा खरीद 340 रुपए प्रति किलो ग्राम हुई।यही हाल इस वित्तीय बर्ष 2025-26 में मटर बीज का है पुरानी महंगी दरों को इस वित्तीय बर्ष में भी लागू कर दिया गया है। विगत बर्ष अदरक बीज भी बाजार भाव से काफी महंगा था।माननीय प्रधानमंत्री जी की किसानों के हित में लागू डीबीटी योजना का नहीं होता उत्तराखंड सरकार में अक्षरशः अनुपालन।उत्तराखंड शासन के पत्रांक 535/X11-2/2021-5(28/2014 दिनांक17 मई 2021से राज्य के कृषकों को देय अनुदान आधारित योजनाओं को डीबीटी द्वारा क्रियान्वयन के आदेश निर्गत किए गये, उक्त शासनादेश के साथ उत्तरप्रदेश एवं हिमाचल सरकार के शासनादेशों को संलग्न कर इस आशय से प्रेषित किया गया है कि उन्ही के अनुरूप उत्तराखंड में भी डीबीटी लागू की जाय। किन्तु इस शासनादेश का अक्षरशः अनुपालन नहीं किया जा रहा है।गाइड लाइन एवं शासनादेशों का नहीं होता अनुपालन।भारत सरकार की गाइड लाइन एवं उत्तराखंड सरकार के शासनादेशों के अनुसार योजनाओं में क्रय किए जाने वाला बीज,फल पौध आदि निवेश भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, कृषि शोध संस्थान, कृषि विश्वविद्यालय से क्रय कर कृषकों को बीज उपलब्ध कराने के निर्देश है जिनसे आने वाले समय में कृषक स्वयं बीज उत्पादन कर आत्मनिर्भर बन सके। किन्तु इस शासनादेशों का अनुपालन नहीं किया जाता। अधिकतर निम्न स्तर के निवेश टेंडर प्रक्रिया के माध्यम से क्रय किए जाते आ रहे हैं।



















