( पहरू कुमाऊनी पत्रिका के सम्पादक डाक्टर हयात सिंह रावत के नेतृत्व में वर्ष 2008 से प्रतिवर्ष आयोजित हो रहे हैं, तीन दिवसीय कुमाऊनी भाषा सम्मेलन)

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उत्तराखंड की लोक भाषाओं का विकास करने और उन्हें सँवारने की दरकार हमेशा रही है। इसी श्रृंखला में कुमाऊंनी भाषा के सशक्त हस्ताक्षर डाक्टर हयात सिंह रावत प्रयासरत हैं,उनके द्वारा मासिक कुमाऊनी पत्रिका पहरू व कुमाऊंनी भाषा तीन दिवसीय वार्षिक सम्मेलन से अविरत प्रयास किये जा रहे हैं।उत्तराखंड की एक प्रमुख लोक भाषा कुमाउनी के विकास में पिछले दो दशक से जुटी ‘कुमाउनी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति प्रचार समिति’ व कुमाउनी भाषा की मासिक पत्रिका ‘पहरू’ की ओर से हर वर्ष राष्ट्रीय स्तर का सम्मेलन किया जा रहा है। समिति और ‘पहरू’ पत्रिका की ओर से यह सम्मेलन 2008 से किए जा रहे हैं।

कुमाउनी भाषा पर केन्द्रित यह सम्मेलन तीन दिवसीय होता है। इस वर्ष 16 वां सम्मेलन चंपावत में आयोजित किया जा रहा है। इस राष्ट्रीय सम्मेलन में कुमाऊं सहित देश भर से प्रवासी कुमाउनी साहित्यकार, विद्वान और भाषाप्रेमी प्रतिभाग करते हैं।

15 सितंबर को चंपावत में समिति और ‘पहरू’ पत्रिका की ओर से आयोजित गोष्ठी में तय हुआ कि इस वर्ष ‘राष्ट्रीय कुमाउनी भाषा सम्मेलन’ आगामी 10, 11 व 12 नवंबर को चंपावत में आयोजित किया जाएगा। साहित्यकार डाॅ. तिलकराज जोशी की अध्यक्षता में आयोजित इस गोष्ठी में सम्मेलन संयोजक शिक्षाविद डाॅ. भुवन चंद्र जोशी को बनाया गया है।

इस अवसर पर कुमाउनी भाषा के विकास पर चर्चा हुई और कुमाउनी कवि गोष्ठी में सोनिया आर्य, कमला वेदी, दीपा पांडे, डाॅ. सुमन पांडे, प्रकाश जोशी ‘शूल’, डाॅ. कमलेश शक्टा, ललित मोहन, बबीता जोशी आदि रचनाकारों ने कुमाउनी कविताएं सुनाई। समिति सचिव व ‘पहरू’ संपादक डाॅ. हयात सिंह रावत ने बताया कि सम्मेलन में कुमाउनी साहित्यकारों, भाषासेवियों व संस्कृतिकर्मियों व कलाकारों को सम्मानित/ पुरस्कृत किया जाएगा।

गोष्ठी में अमरनाथ वर्मा, डाॅ. कमलेश शक्टा, नवीन चंद्र पंत, डाॅ. सुमन पांडे, बबीता जोशी, डाॅ. सतीश पांडे, भूपेन्द्र देव ‘ताऊ जी’, नवीन मुरारी, गिरीश चंद्र पंत, हिमांशु जोशी, त्रिभुवन उपाध्याय, डाॅ. डी.एन. तिवारी, हरीश चंद्र जुकरिया, आनंद मुरारी, गीता तिवारी, सुभाष चंद्र जोशी आदि मौजूद रहे।

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