उत्तराखंड हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने हाईकोर्ट के आठ मई के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी है। बार एसोसिएशन ने विशेष अनुमति याचिका दाखिल की।

हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में नैनीताल हाईकोर्ट शिफ्ट करने को लेकर जनमत संग्रह के आदेश दिए थे। उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश ऋतु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने पिछले दिनों एक आदेश पारित कर उच्च न्यायालय की बेंच को ऋषिकेश शिफ्ट करने का मौखिक निर्देश दिया था। इसके बाद से ही विरोध जारी है। सोमवार को बार सभागार में हुई बैठक में सैकड़ों अधिवक्ता मौजूद थे।

इस दौरान अधिवक्ताओं ने अपने मत रखे। अधिवक्ताओं ने कहा कि 17 मई से सुप्रीम कोर्ट बंद होने वाली है इसलिए हमें जल्द कोई बड़ा फैसला लेना चाहिए। कहा कि एक कमेटी बनाकर पूरी तैयारी से सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल करनी चाहिए। उन्होंने ये भी कहा कि जल्द से जल्द आदेश को चुनौती देनी चाहिए और वहां के एक सीनियर अधिवक्ता को भी इस केस में रखना चाहिए।

गौरतलब है कि हाईकोर्ट के निर्देश के बाद नैनीताल हाईकोर्ट की शिफ्टिंग के लिए जनमत संग्रह के लिए हाईकोर्ट की समिति ने बैबसाईट पोर्टल भी खोल दिया है।

जिसमें अधिवक्तओं के साथ आम लोगों से हाईकोर्ट की शिफ्टिंग के लिए हां और नहीं में उत्तर देकर स्पष्ट राय मांगी जा रही है। वहीं कुमाऊं से हाईकोर्ट शिफ्ट किए जाने की सुगबुगाहट पर वकीलों, सामाजिक, राजनीतिक चिंतकों के बाद राज्य आंदोलनकारी भी मुखर हो गए हैं। उनका साफ कहना है कि हाईकोर्ट के बहाने लोगों को कुमाऊं और गढ़वाल में बांटने की साजिश हो रही है। कुमाऊं से पहले ही कई बड़े संस्थान और निदेशालय, उद्यान निदेशालय शिफ्ट हो चुके हैं।

श्रम, सेवायोजन, उच्चशिक्षा निदेशालयों के उच्चाधिकारी देहरादून में बैठकर काम कर रहे हैं। एम्स गढ़वाल में स्थापित किया गया है। हाईकोर्ट शिफ्ट होने पर कुमाऊं में क्या बचेगा। पहाड़ों के विकास के लिए पहाड़ी राज्य बना लेकिन आज पहाड़ के लोग खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं।

राज्य आंदोलनकारियों का कहना है कि इसी तरह कुमाऊं की उपेक्षा होती रही तो कुमाऊं प्रदेश की मांग भी उठ सकती है, इसमें कोई संशय नहीं है। उल्लेखनीय है कि पूर्व राज्यपाल व पूर्व मुख्यमंत्री उत्तराखंड भगत सिंह कोश्यारी ने भी विरोध के विगुल बजा दिये है। कुछ अधिवक्ता का कहना है कि जो उच्च न्यायालय ने राय हेतु पोर्टल बनाया है वह भी ग़लत है सिर्फ हां या ना तक सिमित है जब कि उच्च न्यायालय नैनीताल से शिफ्ट होने की कवायद पर हां पर जगह का नाम भी खोलना चाहिए था ताकि स्पष्ट जन मत मिल‌सके।

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