लेह: लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने और संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर चल रहा आंदोलन बुधवार को हिंसक हो गया। लेह में छात्रों और युवाओं द्वारा निकाले गए एक विरोध मार्च के दौरान सुरक्षाबलों और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई भीषण झड़प में चार लोगों की मौत हो गई और 70 से अधिक लोग घायल हो गए। इस दुखद घटना के बाद, आंदोलन का नेतृत्व कर रहे प्रसिद्ध शिक्षाविद् सोनम वांगचुक ने शांति की अपील करते हुए अपनी 15 दिन पुरानी भूख हड़ताल समाप्त कर दी।
​कैसे बिगड़े हालात?
​प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, मार्च शांतिपूर्ण तरीके से आगे बढ़ रहा था, लेकिन जब सुरक्षाबलों ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे तो स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई। इस कार्रवाई की प्रतिक्रिया में, प्रदर्शनकारियों ने पत्थरबाजी शुरू कर दी, जिससे दोनों पक्षों के बीच हिंसक झड़प हुई। लद्दाख, जो अपनी शांतिपूर्ण संस्कृति के लिए जाना जाता है, के इतिहास में इस स्तर की हिंसा को अभूतपूर्व माना जा रहा है।
​आंदोलन की मुख्य मांगें क्या हैं?
​लद्दाख के लोग अपनी अनूठी सांस्कृतिक पहचान, भूमि के अधिकार और संसाधनों की सुरक्षा के लिए संवैधानिक गारंटी की मांग कर रहे हैं। उनकी दो प्रमुख मांगें हैं:
​पूर्ण राज्य का दर्जा: लद्दाख को एक पूर्ण राज्य बनाया जाए ताकि स्थानीय सरकार को अधिक विधायी और प्रशासनिक अधिकार मिल सकें।
​संविधान की छठी अनुसूची: इस क्षेत्र को छठी अनुसूची में शामिल किया जाए, जो आदिवासी क्षेत्रों को स्वायत्तता प्रदान करती है और स्थानीय समुदायों को अपनी भूमि, जंगल और सांस्कृतिक मामलों पर निर्णय लेने का अधिकार देती है।
​सोनम वांगचुक की प्रतिक्रिया
​हिंसा की खबर से आहत होकर, 15 दिनों से अनशन पर बैठे सोनम वांगचुक ने अपना अनशन समाप्त करने की घोषणा की। उन्होंने सभी पक्षों से शांति बनाए रखने की पुरजोर अपील करते हुए कहा, “हिंसा हमारे आंदोलन के पवित्र उद्देश्य को कमजोर करती है। हमें अपने लक्ष्य के लिए शांतिपूर्ण और अनुशासित रहना होगा।”

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