(राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान कोसी – कटारमल अल्मोड़ा का स्थापना दिवस समारोह धूमधाम से मनाया )
गोविन्द बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थानए कोसी- कटारमल, अल्मोङा के स्थापना दिवस समारोह व भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत की जयंती का शुभारम्भ सांसद अजय टम्टा व,एवं कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथियों द्वारा पं. गोविन्द बल्लभ पंत जी की मूर्ति पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलन द्वारा किया गया।कार्यक्रम के आरम्भ में संस्थान के निदेशक प्रो० सुनील नौटियाल ने सभी अतिथियों को संस्थान तथा इसकी क्षेत्रीय इकाइयों द्वारा हिमालयी क्षेत्रों में किये जा रहे विभिन्न शोध और विकासात्मक कार्यों से अवगत कराया और संस्थान की प्रगति आख्या प्रस्तुत की। उन्होनें कहा कि विगत वर्षों में संस्थान नें जैव विविधता संरक्षण, सामाजिक एवं आर्थिक विकास, जलवायु परिवर्तन तथा जल जमीन संसाधनों के प्रबंधन के क्षेत्र में समन्वित प्रयास किये है।
संस्थान विभिन्न विकासात्मक परियोजनाओं जैसे हिमालयी क्षेत्र के लोगों की आजीविका वर्धन, जैव विविधता संरक्षण, चीड की पत्तियों से विभिन्न सामग्रियों का निर्माण, औषधीय पादपों के उत्पादन के तरीकों को जनमानस तक पहुंचाना तथा पानी के स्रोतों के संरक्षण इत्यादि को धरातल पर उतारने हेतु प्रयासरत है। इस अवसर पर उन्होंने पंडित गोविन्द बल्लभ पन्त जी के हिमालय क्षेत्र में उनके योगदान के बारे में बताया।
उन्होंने वैश्विक स्तर पर सतत विकास के 17 लक्ष्यों और संस्थान द्वारा उन पर किये जा रहे कार्यो से भी सबको अवगत कराया। उन्होंने कहा कि हिमालयी क्षेत्रों में तटीय क्षेत्रों की भांति पूर्व चेतावनी प्रणाली विकसित करने की बात कही। उन्होंने संस्थान के दो वैज्ञानिकों को पद्मश्री पुरस्कार मिलने को संस्थान के लिए गौरवशाली बताया और शोध क्षेत्रों को इससे सीख लेने की बात कही। संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा० आई०डी० भट्ट ने 30वें पं. गोविन्द बल्लभ पंत स्मारक व्याख्यान के वक्ता प्रोफेसर जफ़र अहमद रेशी, वरिष्ठ प्रोफेसर, कश्मीर विश्वविद्यालय, श्रीनगर का परिचय देते हुए उनके शोध कार्यों का जीवनवृत्त दिया।
इसके उपरान्त प्रोफेसर जफ़र अहमद रेशी ने पर्वतों के प्रहरी: हिमालय की उच्चभूमि में आक्रमणकारी वनस्पतियों से संघर्ष विषय पर संस्थान का 30वां पंण् गोविन्द बल्लभ पंत स्मारक व्याख्यान प्रस्तुत किया। अपने व्याख्यान में उन्होंने हिमालयी क्षेत्रों में विभिन्न आक्रामक विदेशी प्रजातियों से अवगत कराया।
उन्होंने कहा कि इन विदेशी आक्रामक प्रजातियों ने हिमालयी क्षेत्रों में पायी जाने वाली महत्वपूर्ण और दुर्लभ प्रजातियों को समाप्त या समाप्ति की कगार पर कर दिया है। जिनके समाधान के लिए हिमालयी क्षेत्र में रहने वाले सभी को एकजुट होकर आगे आने की जरूरत है। उन्होंने अवगत कराया कि हिमालय के बिना हमारा अस्तित्व नहीं है अतः हिमालय से जुड़े सभी हितधारकों को नीतिगत समाधान कर इन प्रजातियों के प्रबंधन की दिशा में अपना ध्यान केन्द्रित करने की आवश्यकता है।
अपने व्याख्यान के माध्यम से प्रोफेसर रेशी ने बताया कि विश्व में लगभग 37000 आक्रामक प्रजातियां हैं और प्रतिवर्ष 200 प्रजातियां हर वर्ष बढ़ती जा रही हैं। अपने अध्यक्षीय भाषण में माननीय सांसद एवं कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री अजय टम्टा जी ने संस्थान द्वारा चलाये जा रहे आजीविका वर्धन में सहायक तथा शोध कार्यों की प्रशंसा की तथा कहा कि पं. गोविन्द बल्लभ पन्त द्वारा देश, समाज व मानव कल्याण के लिए किये गये कार्यों को हमें आत्मसात करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि पं. गोविन्द बल्लभ पंत जैसे प्रखर और संघर्षशील नेता की जन्मस्थली में स्थित संस्थान आज अपने शोध और विकास कार्यो को वैश्विक स्तर पर फैला रहा है जो हम सबके लिए गौरव की बात है।
उन्होंने कहा कि वनाग्नि से प्रतिवर्ष सैकड़ो जीव जंतुओं और वनस्पतियों को नुकसान पहुँचता है और उनके जीवन को प्रभवित करता है। उन्होंने संस्थान से वनाग्नि की रोकथाम हेतु उचित दिशानिर्देश और कार्ययोजना बनाने की भी अपील की। उन्होंने सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रो के विकास हेतु वाइव्रेंट विलेज इत्यादि योजनाओं इत्यादि से भी सबको अवगत कराया।
कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि सुश्री नमिता प्रसाद, संयुक्त सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार ने संस्थान को उसके विकासात्मक कार्यों हेतु अग्रिम शुभकामनाएं प्रेषित की और भविष्य में भी इसके सकारात्मक परिणामों की उम्मीद जताई। उन्होंने कहा कि संस्थान ने अपने कार्यों द्वारा पर्यावरण मंत्रालय और नीति आयोग की उम्मीदों पर खरा उतर कर सबको गौरवान्वित किया है। उन्होंने सभी से आक्रमणकारी प्रजातियों के इस व्याख्यान का अधिक से अधिक लाभ लेकर आत्मसात करने की अपील की।कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि पद्मश्री प्रोफेसर ए. एन. पुरोहित ने संस्थान के द्वारा चलाये जा रहे उत्कृष्ठ शोध और विकास कार्यो की सराहना की।
उन्होंने कहा कि संस्थान ने अपने शोध और विकास कार्यो की बदौलत राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी अनूठी पहचान बनायी है। उन्होंने युवा शोधार्थियों से बनाये रखने और अपने शोध और विकास कार्यों को धरातलीय स्तर पर लाने की अपील की। उन्होंने कहा बदलते जलवायु परिवर्तन के कारण पर्यावरण दिनों दिन प्रभावित होता जा रहा है अतः हमें सबको एकजुट और सजग होकर इसके समाधान हेतु मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है। कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि पद्मश्री प्रोफेसर एकलब्य शर्मा, इसीमोड़, काठमाण्डू ने बताया कि इसीमोड़ आठ देशों के सानिध्य में हिमालय पर शोध और विकास कर रहा है जिसमें भारत की तरफ से गोविन्द बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान की भूमिका मुख्य है।
उन्होंने हिन्दु कुश हिमालयी क्षेत्रों के संरक्षण और संवर्धन हेतु आगे आकर कार्य करने की बात कही। कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि प्रो. सतपाल सिंह बिष्ट, कुलपति, सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा ने संस्थान के विकास कार्यों की सराहना की और कहा कि हिमालय पर कार्य करने में संस्थान ने अपनी स्थापना से लेकर आज तक काफी उत्कर्ष कार्य किये।
उन्होंने कहा कि वैज्ञानिको द्वारा बनायीं गयी नीतियों को समाज में आत्मसात करने की अति आवशकता है जिस हेतु पर्यावरण संस्थान उल्लेखनीय कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड राज्य अपनी आर्थिक संवर्धन को उचित पहचान नहीं दे पाया है अतः हमें इस दिशा में मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है।
उन्होंने इंटीग्रेटेड फ्रेमवर्क मॉडल पर भी कार्य करने की बात कही। उत्तराखंड जैव विविधता काउंसिल हल्दी पंतनगर के निदेशक प्रोफेसर संजय कुमार ने भी अपने संबोधन में संस्थान द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में किये जा रहे कार्यो की प्रशंसा की और अपनी शुभकामनाएं प्रेषित की।
इस कार्यक्रम में पूर्व विधायक अल्मोड़ा श्री कैलाश शर्मा, सी.एम.ओ. अल्मोड़ा, डा. वसुधा पन्त, श्री प्रकाश जोशी, पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष अल्मोड़ा, वरिष्ठ पत्रकारए श्री पी. सी. तिवारी, प्रो. जे. एस. रावत, डा. जी.सी.एस. नेगी, डा. एस.एस. सामन्त, डा. सुमित पुरोहित, डा.ण् अरुण जुगरानए संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. पारोमिता घोष, ई. एम.एस. लोधी सहित संस्थान के समस्त वैज्ञानिकों, अधिकारियों एवं शोधार्थियों समेत लगभग 250 प्रतिभागियों नें प्रतिभाग किया।
अन्त में गणमान्य अतिथियों द्वारा संस्थान के प्रकाशनों का विमोचन भी किया गया। समारोह कार्यक्रम का संचालन शोध छात्रा कु० श्रीया अधिकारी और संस्थान के वैज्ञानिक डा. मिथिलेश सिंह तथा समापन संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. जे. सी. कुनियाल के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।