( जाने माने साहित्यकार प्रोफेसर लक्ष्मण सिंह बिष्ट “बटरोही”की कलम से)

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रात में नैनीताल में यातायात व्यवस्था की व्यथा को लेकर फेस बुक में जाने माने साहित्यकार प्रोफेसर लक्ष्मण सिंह बिष्ट बटरोही जी की पोस्ट फोटो फीचर देखने को मिली , जिससे मैं प्रभावित हुआ। लेखक ने व्यवस्थाओं पर एक प्रश्न छोड़ अपना आलेख पूरा किया देखिए लेख:-
नैनीताल में शाम छह बजे से रात नौ बजे तक मालरोड में आवागमन बंद रहता है। मल्लीताल के रिक्शा स्टैंड से शेर का डांडा के मध्य में एक घुमकड़ी रास्ता तल्लीताल तक बनाया गया है, शांत और शालीन। इस मार्ग को लोअर चीना माल कहा जाता था, आजकल अपर माल कहा जाने लगा है। मेरा घर माउंट रोज़ इसी सड़क पर है। हमारे सुख-दुखों का साथी यही रास्ता है।

जब से मालरोड बंद हुई है, बाइक-टेक्सी ने यह रास्ता धड़ल्ले से चालू कर दिया है। पालिका ने घूमने वालों की सुविधा के लिए रोड में शानदार खड़ंजा भी बिछाया है, इससे तो लोगों के पौ बारह हो गए हैं। इस रास्ते मल्लीताल से सीधे बिना माल को क्रॉस किए तल्लीताल पहुँचा जा सकता है इसलिए सारा आवागमन इसी रास्ते चालू हो गया है।

अब इस रास्ते में पैदल घूमना तो दूर रहा, संकरा रास्ता होने के कारण कोई भी आदमी चल नहीं सकता है। बाइक इतनी सर्राटे से चलती हैं कि पैदल आदमी हर वक्त सहमा हुआ रहता है।
कल रात जब देर तक बिजली गुल हो गई, बाइक वाले तो मजे से भागते रहे, पैदल यात्री सहमे हुए खड़े होकर डर से काँपते रहे। “मैंने पुलिस वाले से अपनी व्यथा सुनाई, कहा इन्हें आप रोकते क्यों नहीं? बेचारा मेरा मुँह ताकता रहा। आदेश पारित करना उसके हाथ में तो है नहीं, वह तो आदेश का पालन करता है।
आप ही समस्या का कोई समाधान बताइये। हो सके तो मुझे भी बताइयेगा।”

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