( राखियों के माध्यम से स्वयं सहायता समूह के रोजगार को बढ़ावा दिया जा रहा है)
पर्यावरण बचाव के तहत फल फूलों के बीजों को राखियों को जा रहा है रखा गाँव मे बनी इन राखियों की विदेशों तथा देश के विभिन्न शहरों में बढ़ी मांग
गरमपानी– बेतालघाट ब्लॉक के व्यासी गाँव की महिलाओं द्वारा अनूठी राखियां बनाने की पहल शुरू की गई है। जिसमे पहले वर्ष ही इन राखियों की मांग देश विदेश में काफी अधिक मात्रा में हो रही है।
जिसमे महिलाओं द्वारा पर्यावरण बचाओ के तहत राखियों के अन्दर पेड़ पौधों के बीज को रख कर राखिओं को बनाया जा रहा है। जिससे राखियों के एक बार उपयोग के बाद जमीन में कही भी रख कर पेड़ पौधों के रूप में दुबारा उपयोग में लाया जा सकेगा। बेतालघाट ब्लॉक के दूरस्थ गाँव व्यासी में इस वर्ष कुछ महिलाओं द्वारा एक समूह बनाया गया।
जिसमें महिलाओं ने स्वरोजगार के तहत घरों के पुराने कपड़ो से हैंड बैग, मोबाइल कवर, घरो में सजाने के सामान, चाबी के छल्ले, इत्यादि सामानों को बनाने का कार्य शुरू किया गया। जिसके बाद महिलाओं ने इस वर्ष समूह में बचे पुराने कपड़ो तथा अन्य बचे हुवे सामानों से राखियों को बनाने की पहल शुरू की गई। जिसका प्रचार के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया गया। जिसके बाद महिलाओं के पास लगातार महिलाओं के पास राखिओं के आर्डर आने शुरू हो गए।
जिसके बाद महिलाओं द्वारा राखियों को बनाने का कार्य शुरू कर दिया गया। जिसमे शैली आर्य ने बताया कि राखियों के आर्डर आने के बाद महिलाओं द्वारा राखी बनाने का कार्य शुरू किया गया। जिसमें समूह में बचे हुवे कपड़ो अन्य सामानों से राखिओं को बनाया गया।
जिसमें पर्यावरण बचाव के तहत राखिओं के अन्दर सब्जियों तथा फूलों के बीज को रखा गया। जिससे राखी एक उपयोग के बाद राखी को इधर उधर ना फेक कर घर के ही आस पास खेतो तथा आंगन में रख दिया जाए, जिससे राखियों का दुबारा सब्जियों तथा फूल उगाने में किया जा सके।वही महिलाओं की इस पहल के बाद समूह के पास विदेशों अमेरिका तथा लन्दन तथा देश के बड़े बड़े शहरों बेंगलुरु, लखनऊ, मुंबई, चेन्नई, पुणे इत्यादि से आने लगे।
जिसमे महिलाओं द्वारा बताया गया कि अभी तक महिलाओं द्वारा 250 से अधिक राखिओं को भेजा जा चुका है। वही आसपास के गाँव मे भी इस राखी की मांग आ रही है।वही इस दौरान गाँव की भावना आर्य, शैली आर्य, मनीषा, रेखा, प्रेमा देवी, सुशीला टम्टा, सुभागी राज द्वारा राखियां बनाई जा रही है। वही राखिओं में भिंडी, मूली, धनिया तथा फूलों के बीजों को डाला जा रहा है।