( आयोजित गोष्ठी में पचास से अधिक अधिकारी कर्मचारियों ने भाग लिया)
गो. ब. पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान, कोसी− कटारमल, अल्मोड़ा द्वारा वर्ष 2025-26 की तिमाही हिन्दी कार्यशाला का आयोजन डा आशीष पाण्डे वैज्ञानिक तथा सदस्य, राजभाषा कार्यान्वयन समिति द्वारा किया गया। कार्यशाला का विषय ˮ कार्यालयी कार्यकलापों में हिन्दी का प्रगामी प्रयोग ˮ था। कार्यशाला का शुभारम्भ करते हुए संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा सतीश चन्द्र आर्य ने कार्यशाला के वक्ता श्री अजय कुमार चौधरी, सहायक निदेशक, राजभाषा विभाग, भारत सरकार का पुष्पगुच्छों से स्वागत करते हुए उन्हें संस्थान तथा इसकी शोध गतिविधियों से अवगत कराया।
कार्यशाला की शुरुआत डा आशीष पाण्डे वैज्ञानिक तथा सदस्य, राजभाषा कार्यान्वयन समिति ने कार्यशाला के वक्ता श्री अजय कुमार चौधरी, सहायक निदेशक, राजभाषा विभाग, भारत सरकार के सूक्ष्म परिचय से की। उन्होंने अवगत कराया कि संस्थान प्रत्येक तिमाही में राजभाषा हिन्दी के अधिकतम प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न विषयो में इस तरह की नियमित कार्यशालाओं का आयोजन करता आ रहा है।श्री अजय कुमार चौधरी, सहायक निदेशक, राजभाषा विभाग, भारत सरकार ने कार्यशाला के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कार्यशाला के विषय पर विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की और राजभाषा विभाग द्वारा जारी वार्षिक कैलेंडर और इसके लक्ष्यों से सबको अवगत कराया।
उन्होंने राजभाषा अधिनियम 1963 (यथा संशोधित 1967) की धारा 3(3) के अन्तर्गत आने वाले दस्तावेजों, राजभाषा हिन्दी की उत्पत्ति और स्थान, हिन्दी दिवस तथा विश्व हिन्दी दिवस को मनाए जाने का कारण, राजभाषा नियम, राजभाषा आयोग और पुरस्कार योजनाएं, वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली, विभिन्न क्षेत्रों के बीच पत्राचार, कार्यालयों में उपयोग होने वाले विभिन्न पत्रों, कार्यालय आदेश, परिपत्र, टिप्पणी और कम्प्यूटर पर यूनिकोड का प्रयोग आदि की विस्तृत जानकारी भी दी।
उन्होंने सभी प्रतिभागियों से अनुरोध किया कि भारतीय संविधान के अनुसार हिंदी को जो स्थान प्राप्त है उसको ध्यान में रखकर सरकारी कामकाज में हिंदी का अधिक से अधिक प्रयोग करने की आवश्यकता है।
कार्यशाला का समापन श्री महेश चन्द्र सती, वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ। अंत में इस कार्यशाला में उपस्थित सभी प्रतिभागियों के मध्य खुली परिचर्चा की गई जिसमें प्रतिभागियों की विभिन्न शंकाओ का समाधान किया गया।
कार्यशाला का संचालन श्री प्रवीण चौहान द्वारा किया गया. इस कार्यशाला में संस्थान के वैज्ञानिक डॉ मिथिलेश सिंह, डा सुमित राय, डा शैलजा पुनेठा, ई ओम प्रकाश आर्य, विपिन शर्मा, श्री प्रवीण चौहान सहित लगभग 50 अधिकारियों और कर्मचारियों ने प्रतिभाग किया।


