( आरोपी ने सिर्फ बारह प्रश्न बाहर भेजे, जब कि प्रश्न पत्र में सैकड़ों प्रश्न थे, मामले की उच्च स्तरीय जांच आवश्यक है)
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य राजीव गुरुरानी ने कहा कि विगत दिवस हुई उत्तराखंड चयन सेवा आयोग की स्नातक भर्ती परीक्षा में पेपर लीक की अफवाह पूरी तरह से सरकार को बदनाम करने की साजिश है। इस मामले की गहन और निष्पक्ष जांच कर षड्यंत्रकर्ताओं का पर्दाफाश होना चाहिए।
गुरुरानी ने कहा कि आरोपी द्वारा केवल 12 प्रश्न बाहर भेजे गए, जबकि पेपर में सैकड़ों प्रश्न शामिल थे। इन प्रश्नों को बेरोजगार संगठन के एक चर्चित नेता तक पहुँचाना इस बात का प्रमाण है कि यह पूरी तरह से सरकार को कटघरे में खड़ा करने का प्रयास है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि ढाई साल पहले लागू नकल विरोधी कानून के बाद राज्य में हुई तमाम भर्तियां नकल माफिया से मुक्त रही हैं और हजारों युवाओं को पारदर्शी तरीके से नौकरी मिली है। यह राज्य सरकार की पारदर्शिता और ईमानदार भर्ती प्रक्रिया के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
गुरुरानी ने कहा कि एक परीक्षा केंद्र से पेपर का छोटा-सा हिस्सा बाहर कर युवाओं में भ्रम फैलाने और सरकार विरोधी माहौल तैयार करने की कोशिश की गई। यह युवाओं की भावनाओं से खिलवाड़ कर राजनीतिक लाभ लेने का घिनौना प्रयास है।
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार परीक्षाओं की पवित्रता को लेकर बेहद गंभीर है। इसका प्रमाण यह है कि सरकार ने एक दिन पूर्व ही कुख्यात नकल माफिया हाकम सिंह और उसके सहयोगियों को रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया, जिससे साफ होता है कि सरकार नकल माफिया के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रही है।
गुरुरानी ने विश्वास जताया कि मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में उत्तराखंड सरकार युवा हितों की रक्षा के लिए लगातार कड़े और प्रभावी कदम उठाती रहेगी।


