(२८ जनवरी को होने वाली महारैली को समर्थन देने की घोषणा, क्षेत्रीय दलों ने की)
उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी की पहल पर हल्द्वानी में एक गोष्ठी का आयोजन कर,उत्तराखंड अवधारणा एवं भू कानून विषय पर राज्य आंदोलन की ताकतों की बैठक में उत्तराखंड की जनता से प्राकृतिक संसाधनों, जमीनों पर यहां के मूल निवासियों के अधिकारों के लिए संघर्ष में एकजुट होने का आह्वान किया। उपपा एवं संघर्षशील ताकतों की पहल पर आयोजित इस बैठक में भाजपा के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत की सरकार के दौरान बनाए गए काले कानून को निरस्त करने, राज्य को संविधान की धारा 371 का संरक्षण प्रदान करने, पूंजीपतियों, प्रभावशाली लोगों को आवंटित जमीनों पर श्वेत पत्र जारी करने के साथ राज्य बनने के बाद जल, जंगल, ज़मीन पर जनता के अधिकारों पर कटौती करने वाले कानूनों को वापस लेने की मांग की गई।
संगोष्ठी का प्रारंभ करते हुए उपपा के केंद्रीय अध्यक्ष पी सी तिवारी ने कहा कि उत्तराखंड में मूल निवास व सशक्त भू कानून के मुद्दे पर राज्य में पैदा हुए जन असंतोष को व्यापक परिपेक्ष्य में समझने की जरूरत है। यह मूलतः राज्य की अस्मिता एवं अवधारणा से हुए खिलवाड़, खेती, जमीनी, बेरोजगारी, मूल भूत सुविधाओं के अभाव से पैदा हुआ है। इन सब विषयों पर गहराई से विचार करने की आवश्यकता है।
संगोष्ठी के आयोजकों एडवोकेट मोहन कांडपाल ने आगंतुकों का स्वागत करते हुए कहा राष्ट्रीय पार्टियों की गलत लूट खसोट की नीतियों ने उत्तराखंड को खोखला कर दिया है। संगोष्ठी की अध्यक्षता उत्तराखंड आंदोलन के वरिष्ठ नेता पी सी जोशी, उक्रांद की विजया ध्यानी ने की। कार्यक्रम का संचालन सामाजिक कार्यकर्ता बच्ची सिंह बिष्ट एवं उपपा के महामंत्री दीवान सिंह खनी ने किया।
संगोष्ठी में वरिष्ठ पत्रकार जगमोहन रौतेला ने उत्तराखंड राज्य के लिए संघर्ष करने वाली ताकतों से एकजुट होकर जन आकांक्षाओं को पूरा करने का आह्वाहन किया।
करीब 4, 5 घंटे चली बैठक में उमेश तिवारी विश्वास ने कहा कि आज देश की लोकतांत्रिक प्रणाली पर ही खतरा बढ़ गया है। संगोष्ठी में उक्रांद के वरिष्ठ नेता भुवन जोशी, पहाड़ी आर्मी के नेता हरीश रावत, परिजात नौड़ियाल, उपपा महासचिव दिनेश उपाध्याय, उछास की भावना पांडे, महेश जोशी आदि ने विचार रखे।
इस दौरान 28 जनवरी को हल्द्वानी में होने वाली महारैली को समर्थन देते हुए, रैली को सफल बनाने और उसे आम लोगों के मुद्दों से जोड़ते हुए उत्तराखंडी सोच की सभी ताकतों को एकजुट करने की जरूरत है जिसके लिए एक समिति का भी गठन किया गया। आज की बैठक में कई संगठनों ने विचार विमर्श में शिरकत की। पी.सी तिवारी, मदन सिंह मेर , प्रकाश चन्द्र जोशी, दयाल जोशी, पी. सी . जोशी, उमेश विश्वास, जगमोहन रौतेला, महेश जोशी, मोहन चन्द्र कान्डपाल , पं. मोहन चन्द्र काण्डपाल . महेश चन्द्र तिवारी, हरीश रावत , जगत सिंह, इन्द्र सिंह मनराल, पारिजात, भुवन जोशी, प्रकाश फ्लोरिया, श्याम सिंह नेगी, अक्षत पाठक आदि विभिन्न संगठनों के कई पदाधिकारियों ने शिरकत की।