( न जाने कितने अशोक सिंघल थे,देश में जिन्होंने राम मंदिर के लिये संघर्ष व अपने‌ प्राणों को न्यौछावर किया ,सबको नमन )

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✍️🙏🪔🎪🪔🎪🎪ये चित्र 9 नवम्बर 1989 का है जब अयोध्या आन्दोलन के हनुमान स्व, अशोक सिंघल जी ने अपने सर पर ईंट लेकर राम लला मन्दिर के शिलान्यास के लिए अयोध्या कूच किया था। काश आज स्व,अशोक सिंघल जी जीवित होते और अपनी आंखों से अपने आराध्य श्री राम लला का मन्दिर बनता व प्राणप्रतिष्ठा होते एवं उसे पूर्ण होते देख पाते जिसके निर्माण के लिए स्व, अशोक सिंघल जी ने पूरा जीवन आहूत कर दिया। मित्रो स्व,अशोक सिंघल जी अयोध्या आंदोलन की धुरी थे ,उन्होंने अखाड़ो में बटे सन्तो से लेकर बिखरे हिन्दू समाज और दिशा हिंन युवा पीढ़ी सबको एक मति और एक गति से अयोध्या राम लला के लिए एक कर अयोध्या आंदोलन को हर सनातनी का आंदोलन बना दिया था,एक धनाढ्य उच्च शिक्षित परिवार में जन्मे स्व,अशोक सिंघल जी राम काज में ऐसे रमे की घर परिवार केरियर सब बनाना भूल गए और अविवाहित रहकर आखरी सांस तक राम लला को टेंट से हटाकर मन्दिर में बिठाने के लिए संघर्ष करते रहे। काश आज अशोक सिंघल जी जीवित होते और अयोध्या में अपने आराध्य श्री राम लला को भव्य मंदिर में बैठा देखते तो उनकी आंखों से सरयू मईया बह निकलती इतना संघर्ष किया था बाबूजी ने राम लला के लिए।मित्रो ये पोस्ट इसलिए लिखी मेंने कि तुम सब ये भूल न जाओ कि आज जो भव्य मंदिर बना है उसकी नींव में अशोक सिंघल जैसे अनेक दधिचियों का संघर्ष उनके अमिट इरादे खून पसीना यहाँ तक कि उनके जैसे अनेक जिझीसियों के आत्मा प्रण की हड्डी पर खड़ा है भव्य मंदिर ,इन नींव के पत्थरों को कभी मत भूलना ।जब भी अयोध्या मन्दिर का जिक्र होगा तब अयोध्या आंदोलन के हनुमान स्व,अशोक सिंघल जी याद किये जाने चाहिए उनका राम मंदिर के प्रति अमिट संघर्ष हमें याद आयेगा । राम भक्त उन महान आत्मा को कोटि कोटि नमन है।

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