गैरसैंण- ग्रीष्मकालीन राजधानी के विधानसभा परिसर भराडीसैंण के नजदीकी सारकोट गांव के हवलदार बसुदेव सिंह परोडा ने लद्दाख क्षेत्र के लेह में सीमाओं की रक्षा के दौरान हुए ब्लास्ट में अपना स्वरूप सर्वोच्च बलिदान दिया है।घटना की सूचना मिलते ही पूरे क्षेत्र में शोक की लहर छाई हुई है,वहीं परिवारजनों का रो-रोकर बुरा हाल है।शहीद का अंतिम संस्कार सोमवार को पूरे सैन्य सम्मान के साथ उनके पैतृक घाट पर किया जाएगा।मिली जानकारी के अनुसार 16 अगस्त को बंगाल इंजीनियरिंग की 55 रेजिमेंट के 30 वर्षीय हवलदार बसुदेव सिंह परोडा लद्दाख क्षेत्र के लेह में तैनात थे,इस दौरान एक महत्वपूर्ण एक्सरसाईज क्लोजिंग के दौरान हुए ब्लास्ट में गिरे शेल्टर की चपेट में आने से बसुदेव शहीद हो गये. वहीं घटना में एक जेसीओ ओर दो जवान भी गंभीर रूप से घायल हो गये थे।
इधर घटना की सूचना मिलने से परिवार में कोहराम मचा हुआ है।एक तरफ पत्नी नेहा बिलख-बिलख कर रो रही है, वहीं दूसरी तरफ पैरालिसीस बिमारी से बिस्तर पर पड़ी मां माहेश्वरी देवी को बेटे के शहीद होने की सूचना मिलने के बाद से बेहोश पड़ी हैं।5 वर्षीय बेटा परीक्षित मां को रोता देख खुद भी रोने लगता है,वहीं 2 वर्षीय नन्हा ॠषभ घर में एकाएक लगी भीड़ और रोने की आवाजों से सहमा हुआ है।चार भाइयों बहनों में सबसे छोटे बसुदेव सबके लाडले थे।अप्रैल माह में छुट्टी काटकर गए थे और दीपावली पर घर आने की बात कही थी। बसुदेव के दो बड़े भाइयों में जगदीश और सतीश प्राइवेट नौकरी करते हैं,जबकि बहन बैसाखी देवी विवाहित हैं. पिता हवलदार फते सिंह सेना से रिटायर होने के बाद नाती-पोतों के साथ अपना जीवन बीता रहे थे,लेकिन असमय बेटे की मौत की सूचना ने उन्हें हिला कर रख दिया है।गम के आंसुओं को किसी तरह छुपा कर वह परिवारजनों को ढांढस बंधा रहे हैं।