कल्मी पौधे तैयार करने में रूट स्टाक या मूलवृन्त हेतु बीजू पौधों की आवश्यकता होती है। व्यवसायिक फलों के पेड़ों में आम तौर पर दो भाग होते हैं – SCION (फूल या फलने वाला भाग) जो जमीन के ऊपर पेड़ का अधिकांश भाग बनाता है और मूल वृन्त या रूटस्टॉक जिसमें जड़ें और तने का निचला भाग होता है। इसलिए, रूटस्टॉक ग्राफ्टेड पौधे का आधार और जड़ भाग है।
सेब आड़ू प्लम खुवानी आदि पौधों के कल्मी पौधे तैयार करने हेतु पहले स्थानीय कृषकों से इनके बीज एकत्रित कर राजकीय पौधालयों एवं व्यक्तिगत पौधाशालाऔ में बुवाई कर बीजू पौधे तैयार किए जाते थे।
इस प्रकार स्थानीय लोगों को कुछ रोजगार भी मिलता था साथ ही स्थानीय बीजू पौधों से तैयार अधिकतर कल्मी पौधे स्वस्थ व रोग रहित होते थे।
दो रुपये के बीजू पौधे को उद्यान विभाग कश्मीर से खरीद रहा है 15 रुपये में।एक किलो सेव के बीज की कीमत 7000 से 8000 रुपए तक होती है जिसमें25 – 28 हजार तक बीज होते हैं। गोल्डन सेब के बीज रूट स्टाक हेतु उपयुक्त होते हैं। सेव के एक दाने में लगभग 8 बीज मिल जाते हैं। परिपक्व फलों से हाथ से निकाले गये बीजों में 90% तक जमाव हो जाता है।
इस प्रकार एक कीलो सेब बीज बोने पर 15 से 20 हजार बीजू पौधे तैयार हो जाते हैं। इन पौधों को तैयार करने में खेत की तय्यारी, बीज की कीमत, बुवाई,निराई गुड़ाई सिंचाई आदि पर कुल खर्चा 25-30 हजार का आता है इस प्रकार एक पौधे की कुल लागत अधिक से अधिक अधिक दो रुपये प्रति पौध आती है।
उद्यान विभाग द्वारा सुनियोजित ढंग से राजकीय पौधालयों में सेब बीजू पौधे उगाने बन्द कर दिए गये साथ ही विभाग द्वारा राज्य के पौधशाला स्वामियों से सेब बीजू पौधे उठाने बन्द कर उन्हें हतोत्साहित किया गया।कमिशन के चक्कर में दो रुपये लागत के सेब बीजू पौधे की दर पहले दस रुपये और फिर पन्द्रह रुपए कर लाखों रुपए के बीजू पौधे काश्मीर से खरीदे गये।
वाहर से लाये गये इन पौधों से कई तरह की बीमारियों व विषाणु रोग आने की संभावनाएं भी बढ़ गई है।कश्मीर से सेव व अन्य फलों के बीजू पौधे खरीदने का खेल विगत कई वर्षों से चल रहा है।
बर्ष 2021 – 22 एवं 2022 – 23 में बड़ी हुई कीमतों पर कश्मीर की व्यक्ति पंजीकृत नर्सरी से विभिन्न जनपदों में मुख्य उद्यान अधिकारियों द्वारा क्रय किए गए सेव, खुबानी व अखरोट के बीजू पौधे-
मुख्य उद्यान अधिकारी उत्तरकाशी
-1.सेव बीजू एक लाख @ 14.80 कुल धनराशि Rs चौदह लाख अस्सी हज़ार।
2.अखरोट बीजू बीस हजार @ 30 कुल धनराशि छ लाख रुपए मात्र।
3.सेव साइनउड पच्चीस हजार चार सौ@ 30/40/50/80 कुल धनराशि वारह लाख चार हजार।
4.सेव साइनउड बारह हजार@30/40/50/80 कुल धनराशि चार लाख पच्चानब्वे हजार।
5.अखरोट साइनउड बीस हजार@ 15 कुल धनराशि तीन लाख।
6 कश्मीर के मजदूरों से ग्राफ्टिंग कार्य एक लाख बीस हजार पौधों पर @ 4/6 कुल धनराशि पांच लाख बीस हजार।
मुख्य उद्यान अधिकारी चमोली-
1. सेव बीजू पच्चास हजार @14.80 कुल धनराशि सात लाख चालीस हजार।
2.सेव साइन उड दस हजार @15 Rs. कुल धनराशि एक लाख पचास हजार।
मुख्य उद्यान अधिकारी रुद्रप्रयाग-
1. सेव सीडलिंग दस हजार @14.80 कुल धनराशि एक लाख अडतालीस हजार।
2. सेव साइन उड पांच हजार @30/40/50/80 कुल धनराशि दो लाख पच्चहतर हजार।
3.अखरोट सीडलिंग पांच हजार @ 35 कुल धनराशि एक लाख पच्चहतर हजार।
4.अखरोट साइन उड छः हजार @ 20 Rs. कुल धनराशि एक लाख बीस हजार।
उद्यान विशेषज्ञ कोटद्वार –
1.सेव बीजू पन्द्रह हजार @ 14.80 कुल धनराशि दो लाख बाइस हजार।
2. कश्मीर मजदूरों से बंधवाये गये ग्राफ्ट – उन्नीस हजार कुल धनराशि एक लाख अड़तीस हजार।
बर्ष 2022-23 में मुख्य उद्यान अधिकारी नैनीताल द्वारा कश्मीर से मंगाये गये बीजू पौधे –
1.खुबानी बीजू पच्चीस हजार @14.10 कुल धनराशि तीन लाख बावन हजार।
2.सेब बीजू पच्चास हजार @14.80 कुल धनराशि छ लाख पच्चीस हजार।
अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, चम्पावत, बागेश्वर , टेहरी, देहरादून, पौड़ी जनपदों में भी इसी प्रकार कश्मीर की व्यक्तिगत नर्सरी से सेव व अन्य के बीजू पौधे मंगाये गये है।जनपद उत्तरकाशी में कश्मीर के मजदूरों से एक लाख सेव व बीस हजार अखरोट में कराये गये ग्राफ्टिंग में जीविता प्रतिशत, अखरोट में शून्य एवं सेव में भी मात्र 54 से 56 % ही रही यही हाल सभी जनपदों के है।नियमों को दरकिनार कर जिस तेजी से दरें बढ़ाई गई, नर्सरियों को सूचिबद्ध किया गया आपूर्ति के आदेश निर्गत किए गए व बिलों का भुगतान किया गया इससे लगता है कि पौधों का आपूर्ति से पूर्व सत्यापन नहीं किया गया और न ही प्लान्ट क्वारेनटाइन नियमों का पालन किया गया जिससे उत्तराखंड में सेव में वीषाणु रोग आने की पूरी संभावना है।
ये तो बानगी भर है जिनकी जानकारी , सूचना के अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत उपलब्ध हो पाई यह खेल विगत कई वर्षों से उद्यान विभाग द्वारा खेला जा रहा है। विगत वर्षों से मंगाये गये इन बीजू पौधौ से कितने कलमी पौधै बने कोई पूछने वाला नहीं।
उत्तराखंड सरकार का तीन हजार पांच सौ से अधिक कर्मचारियों वाला उद्यान विभाग कर्मचारियों के वेतन पर लगभग 142 करोड़ रुपए (एक सौ बयालिस करोड़ रुपए) प्रति बर्ष खर्च करता है। विभाग द्वारा सेव तथा अखरोट के बीजू पौधे व साइन उड के साथ ही साथ ग्राफ्ट बांधाने हेतु मजदूर भी कश्मीर से बुलाना विभाग की कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिन्ह खड़े करता है।
माननीय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी ने कहा कि 2025 तक उत्तराखंड को हर क्षेत्र में अग्रणी राज्य बनाने के लिए सरकार प्रयासरत है। क्या इन कृत्यों के चलते बनेगा उत्तराखंड आत्मनिर्भर व 2025 तक अग्रणीय राज्य???सूचना के अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत मांगी गई सूचना के आधार पर कुछ बिलों की प्रमाणित प्रतियां –