( तेरह पदों के सापेक्ष सिर्फ चार पदों पर नियुक्ति क्यों। राज्य सरकार को बाहर नवम्बर रिपोर्ट सहित तलब किया)

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उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में सदस्यों की तैनाती के मामले में सुनवाई की। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट की खंडपीठ ने राज्य सरकार से 12 नवंबर तक उपभोक्ता फोरम में अब तक की गई नियुक्तियों की विस्तृत रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए है।

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मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट ने 12 नवंबर की तिथि नियत की है। शीध्र व सुलभ न्याय के उद्देश्य हेतु उपभोक्ता आयोग के गठनों में अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति न होने से मामलों का निस्तारण न होने की खबर समाचार पत्रों में खबर प्रकाशित होने के बाद उच्च न्यायालय ने उपभोक्ता आयोग में रिक्त पदों के मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए सुनवाई की थी।

तब राज्य सरकार की तरफ से कोर्ट को अवगत कराया गया था कि इन पदों को भरने की तैयारी कर रही है। 13 जिलों के उपभोक्ता फोरम में से अभी तक 4 जिलों में अध्यक्ष की ही नियुक्तियां हो पायी है। जिसके चलते अध्यक्ष के के पद खाली पड़े हुए है।

उच्च न्यायालय ने नाराजगी व्यक्त करते हुए सम्बंधित विभाग के सचिव से 12 नवंबर को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होने को कहा है।सूत्रों की मानें तो प्रदेश सरकार एक अध्यक्ष से तीन तीन पहाड़ी जनपदों का कार्य कराना चाहती है।

नैनीताल जनपद के आयोग के अध्यक्ष विगत एक वर्ष से अलमोडा़ व बागेश्वर जनपद में माह में तीन दिन का कैम्प लगा आयोग का संचालन कर रहे हैं।

इसी तर्ज पर उधम सिंह नगर, हरिद्वार, देहरादून के अध्यक्षों से भी काम चला राज्य के तेरह जनपदों में आयोग का संचालन करना चाहती है।‌इसी वजह से तीन अध्यक्षों की नियुक्ति हेतु प्रवेश परीक्षा आयोजित कर नियुक्ति की गयी है।अब देखना है उच्च न्यायालय नैनीताल क्या कदम उठाती है।

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