(पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश के साथ साथ उत्तराखंड राज्य में भी मनाया जा रहा है, वट सावित्री व्रत की तरह ही यह पर्व)*

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मंजू जोशी ज्योतिषाचार्य, हल्द्वानी

करकं क्षीरसंपूर्णा तोयपूर्णमयापि वा।**ददामि रत्नसंयुक्तं चिरंजीवतु मे पतिः॥* आज देश में सुहागिन महिलाएं अपने पति की लम्बी आयु की कामना को लेकर करक चतुर्थी ( करवा चौथ) का निर्जला उपवास कर रहीं हैं । उत्तराखंड में भी यह पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। ज्योतिषाचार्य मंजू जोशी का आलेख हमें प्राप्त हुआ है जिसे हम यथावत प्रचारित कर रहे हैं।

सभी सनातनीय पाठकों धर्मावलंबियों को नमस्कार प्रणाम जै माता दी। आप सभी मातृ शक्तियों को आस्था एवं प्रेम के प्रतीक करवा चौथ (करक चतुर्थी) पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं। देवी गौरा सभी को अटल सौभाग्य प्रदान करें।

अवगत कराना चाहूंगी जीवनसाथी की दीर्घ जीवन की कामना हेतु, सुहागन स्त्रियों का आस्था का प्रतीक करवा चौथ(करक चतुर्थी) उपवास 20 अक्टूबर 2024 दिन रविवार को मनाया जाएगा। करवा चौथ कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। महिलाएं अपने अखंड सौभाग्य व जीवनसाथी की अच्छी सेहत एवं दीर्घायु की कामना हेतु इस दिन निर्जला उपवास रखती है।हिंदू धर्म में करवा चौथ का विशेष महत्व माना गया है।

*करवा चौथ विशेषकर भारत के पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश और राजस्थान* में मनाया जाता है।*उत्तराखंड में विवाहित स्त्रियां अपने जीवनसाथी की दीर्घायु की कामना हेतु वट सावित्री का उपवास रखती है*।इस वर्ष करक चतुर्थी (करवाचौथ) पर विशेष योग बन रहा है। चंद्र देव अपनी उच्च राशि वृषभ में विराजमान रहेंगे। देव गुरु बृहस्पति वृषभ राशि में उच्च के चंद्रमा के साथ युति होने से गजकेसरी योग का निर्माण करेंगे रोहिणी नक्षत्र रहेगा जिसमें स्त्रियां विशेष मानसिक शांति अनुभव करेंगी।

शनि स्वराशि कुंभ में होने से सुख और समृद्धि में वृद्धि करेंगे। इसके अतिरिक्त सूर्य बुध की युति से बुधादित्य योग का निर्माण भी हो रहा है। *करवा चौथ शुभ मुहूर्त*चतुर्थी तिथि करवा चौथ पर्व पर चतुर्थी तिथि क्षय रहेगी ।करवा चौथ पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5:46 से लेकर 07:02 बजे तक रहेगा।चंद्रोदय का समय रहेगा रात्रि 8:49 पर तथा सभी राज्यों में चंद्रोदय का समय अलग-अलग रहेगा।*पूजा विधि*सूर्योदय से पहले नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्नानादि के उपरांत सोलह श्रृंगार करें उपवास का संकल्प लें।

सुबह सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक निर्जला उपवास रखें चंद्र दर्शन के बाद व्रत का पारण करें। करवा चौथ पर शिव परिवार की पूजा का विधान है। इस दिन पूजा के मुहूर्त में चौथ माता या मां गौरी,भगवान शिव और गणेश जी को आसन में बिठाकर, रोली, कुमकुम, अक्षत, पुष्प, धूप-दीप,नैवेद्य पंचामृत, पंच मेवा, पंच मिठाई आदि अर्पित करते हैं। मिट्टी के पात्र में जल भरकर रखें घी का अखंड दीपक जलाएं। व्रत कथा पढ़ सकते हैं।

चावल, सोलह श्रृंगार सामग्री,भेंट मां गौरी को समर्पित करे। पूजा के उपरांत सामग्री को किसी सुहागन महिला को भेंट स्वरूप दे सकते हैं। पूर्ण चंद्रोदय होने पर चंद्र दर्शन कर छलनी से देखकर अर्घ्य दें। आरती उतारें ,पति के दर्शन करते हुए पूजा करें। पति के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्त करें। पति के हाथ से जलपान कर उपवास का पारण करें।*छलनी से चंद्र दर्शन करने का कारण*आपने अक्सर देखा होगा करवा चौथ पर्व पर महिलाएं छलनी से चंद्र दर्शन करती है फिर अपने पति के दर्शन करती हैं इसके पीछे का कारण क्या है।

चंद्र देव को सुंदरता, प्रेम,शीतलता का प्रतीक माना जाता है। करवा चौथ के दिन सुहागन स्त्रियां छलनी से पहले चंद्र दर्शन फिर अपने जीवनसाथी को निहारती है व चंद्रदेव से पतिदेव की लंबी उम्र की कामना करती हैं। जैसे छलनी से छलने के बाद किसी भी वस्तु की अशुद्धियां अलग हो जाती हैं।

केवल शुद्ध वस्तु ही बचती है ठीक उसी प्रकार करवा चौथ पर महिलाएं अपने प्रेम की शुद्धता हेतु छलनी से चंद्र दर्शन करती है छलनी से चांद को देखकर पति की दीर्घायु और सौभाग्य में बढ़ोतरी की प्रार्थना करती है।( साभार ज्योतिषाचार्य मंजू जोशी, हल्द्वानी)

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