(प्रोफेसर एस पी एस बिष्ट व गंगा बिष्ट ने विश्व विद्यालय के विकास हेतु विचार विमर्श किया)
दर्जा राज्यमंत्री श्रीमती गंगा बिष्ट का सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अलमोडा़ में आ कर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सतपाल सिंह बिष्ट से मुलाकात की। इस मौके पर विश्वविद्यालय की ओर से उनका स्वागत एवं अभिनंदन किया।
कुलपति प्रो. बिष्ट ने उन्हें विश्वविद्यालय में शिक्षकों, शिक्षणेत्तर कर्मियों के अभाव, विश्वविद्यालय की उपलब्धियों एवं गतिविधियों की जानकारी दी।
इस दौरान दोनों के बीच विश्वविद्यालय के संरचनात्मक विकास, शैक्षणिक एवं शिक्षणेत्तर पदों की स्थिति, पाठ्यक्रमों की स्थिति, शोध एवं शिक्षा में नवाचार, छात्रों के हित, स्थानीय विकास आदि को लेकर विस्तार से वार्ता हुई। इसके अतिरिक्त शिक्षा में गुणवत्ता, रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रमों के संचालन, क्षेत्रीय आवश्यकताओं पर आधारित विषयों के संचालन, छात्रों की सुविधाओं, शोध व नवाचार को लेकर गहन चर्चा हुई।
उन्होंने विश्वविद्यालय की प्रगति पर संतोष व्यक्त करते हुए कुलपति प्रो. सतपाल सिंह बिष्ट के प्रयासों की सराहना करते हुए बधाई दी। उन्होंने कहा कि सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय में जिस प्रकार से अकादमिक माहौल, नवाचार, और छात्रहित केंद्रित कार्यों को प्राथमिकता दी जा रही है, वह कुलपति महोदय की दूरदर्शिता और कर्मठ नेतृत्व का प्रमाण है।
दर्जा राज्यमंत्री श्रीमती गंगा बिष्ट ने विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सतपाल सिंह के द्वारा प्रस्तुत विश्वविद्यालय की आवश्यकताओं एवं समस्याओं का संज्ञान लेते हुए सरकार के समक्ष वार्ता कर आवश्यकताओं को पूर्ण करने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि वह सरकार के समक्ष इस विश्वविद्यालय की स्थितियों को प्रस्तुत करेंगी।
उन्होंने कहा कि पर्वतीय राज्य के सुदूर क्षेत्र में स्थित यह विश्वविद्यालय यहां के युवाओं को शिक्षा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, ऐसे में विश्वविद्यालय को जो भी समस्याएं आएंगी,उनको दूर करने के लिए सरकार के समक्ष गंभीरता के साथ प्रस्तुत किया जाएगा।
उन्होंने यह भी आश्वस्त किया कि विश्वविद्यालय में शैक्षणिक एवं शिक्षणेत्तर पदों के सृजन, बुनियादी ढांचे के विकास, छात्रावासों के सुदृढ़ीकरण, छात्राओं की सुरक्षा व सुविधाओं को पूर्ण करने के लिए शासन स्तर पर सहयोग दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त उन्होंने यह भी कहा कि स्वरोजगार, पर्यटन, कृषि, हस्तशिल्प, स्टार्टअप्स और स्थानीय संसाधनों पर आधारित विषयों को पाठ्यक्रम में शामिल करना समय की मांग है। इस दिशा में विश्वविद्यालय की पहल सराहनीय है और इसे अधिक सशक्त करने के प्रयास किये जायेंगे। बैठक के दौरान भविष्य में विश्वविद्यालय और शासन के बीच गहरे तालमेल के साथ एक प्रभावी कार्य-योजना तैयार करने पर सहमति बनी।


