उत्तराखंड में मूल निवास व भू कानून‌ लागू करने ‌की मांग की चिंगारी देश की राजधानी दिल्ली तक पहुंच चुकी है। मूल निवास 1950- भू कानून संयुक्त संघर्ष समिति दिल्ली ने भी मूल निवास 1950 ‌व‌‌ भू कानून सशक्त बनाये जाने की मांग,प्रबल कर आंदोलन किये जाने की रणनीति तय‌ करने हेतु आगामी छः जनवरी को बैठक आहूत की गयी है। लोगों का कहना है कि वर्ष1950 से उत्तराखंड में रह रहे लोगों को ही उत्तराखंड का मूल निवासी माना जाय। तथा बाहरी व्यक्तियों की उत्तराखंड में जमीन खरीदने पर रोक लगे मात्र 15 साल से अधिक अवधि में उत्तराखंड में निवास कर रहे लोगों को उत्तराखंड के मूल निवासी की तरह सुविधाएं देना उत्तराखंड के मूल निवासी के साथ खिलवाड़ है,तथा प्रथक राज्य की जंग के परिणाम के विपरीत है।

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