।( उपस्थित अतिथियों ने नीरज पंत के बाल साहित्य की सराहना की)

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‘बाल दिवस’ के अवसर पर नीरज पंत सेवानिवृत प्रधानाचार्य, साहित्यकार द्वारा लिखित पुस्तक ” छोटा बच्चा पहन के कच्छा ” (बाल गीत संग्रह) का लोकार्पण किया गया. राजकीय इंटर कालेज स्यालीधार,अल्मोड़ा में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि स्वरुप सुप्रसिद्ध साहित्यकार एवं रंगकर्मी श्री त्रिभुवन गिरी महाराज प्रतिष्ठित रहे,बतौर विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार एवं शिक्षाविद प्रो.के.सी.जोशी जी, डॉ.सैयद अली हामिद जी तथा नीलिमा भट्ट जी(अमन संस्था से जुड़ी, जुविनाईल बोर्ड CWC की सदस्य तथा अंतर्राष्ट्रीय समन्वय समिति की सदस्य) मंचासीन रहे. कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री उमेश चंद्र पांडे द्वारा की गई.संचालन सेवानिवृत प्रधानाचार्या /वरिष्ठ साहित्यकार नीलम नेगी द्वारा किया गया।

कार्यक्रम का शुभारंभ सभी मंचासीन अतिथियों द्वारा संयुक्त रूप से माँ सरस्वती के छाया चित्र के सम्मुख दीप प्रज्वलन से हुआ.* विद्यालय छात्राओं द्वारा सुंदर सरस्वती वंदना प्रस्तुत की गई–हे शारदे माता वर दे, सुंदर स्वर कंठ में भर देतू है दया की देवी माँ दया दृष्टि भर दे… उसी क्रम में छात्राओं द्वारा स्वागत गीत प्रस्तुत किया गया–मन की वीणा से गुंजित ध्वनि मंगलमदेव की भांति पूजन करें आज हमस्वागतम स्वागतम स्वागतम… सभी अतिथियों को समारोह का बैज अलंकृत कर उनका स्वागत व अभिनंदन किया गया..* वरिष्ठ साहित्यकार एवं शिक्षाविद डॉ धाराबल्लभ पांडे जी द्वारा नीरज पंत जी के बाल गीत संग्रह’छोटा बच्चा पहन के कच्छा’ की विस्तृत समीक्षा करते हुए पुस्तक में विविध रंगों से परिपूर्ण रचनाओ के लगभग सभी पक्षों पर प्रकाश डाला…* संचालन के मध्य श्री.नीलम नेगी ने श्री नीरज पंत जी के व्यक्तित्व/कृतित्व की पृष्ठभूमि में उनका साहित्यिक परिचय दिया तथा पुस्तक की विषय वस्तु पर चर्चा करते हुए बताया कि पुस्तक के बाल गीतों में बाल सुलभ जिज्ञासा,बाल खेल मनोरंजन,माता पिता के प्रति आदर भाव अभिव्यक्ति,जीवों के प्रति प्रेम,पर्यावरण संरक्षण की सीख,प्रकृति का परिचय,बाल मन व बाल चेतना को बड़े सहज भाव से अपनी रचनाओं में पिरोया है जिनमें बाल मनोरंजन के साथ एक स्वस्थ संदेश भी है. नीरज पंत जी ने सभी का औपचारिक स्वागत किया, सभी का आभार व्यक्त किया और अपनी पुस्तक का परिचय देते हुए अपनी बात कही,उन्होंने पुस्तक के कुछ बाल गीतों को गाकर प्रस्तुत किया जिनमें शीर्षक गीत ‘छोटा बच्चा पहन के कच्छा’ तथा’ ताक धिनाधिन, ताक धिनाधिन, ताक धिनाधिन रे’ प्रमुख व कर्णप्रिय थे।।

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