वास्तुकार अनूभूति अग्रवाल

( जागेश्वर धाम में लकड़ी की साज सज्जा , व क्षेत्र में हुये भुस्खलन को ले भी, आवश्यक निर्देश ,दिये, परियोजना से जुड़े शोधकर्ता वास्तुकार अनूभूति अग्रवाल ने कहा, बद्रीनाथ व केदारनाथ नाथ में हुयी देवी आपदाओं से सबक ले , सुनियोजित विकास हो, भुस्खलन की घटना संकेत है)।

जागेश्वर मंदिर प्रबंधन समिति की अध्यक्ष ज्योत्स्ना पंत

जागेश्वर धाम पहुंचे उत्तराखंड पर्यटन विभाग के ओडीसी भाष्कर खुल्बे व मुख्य सचिव डाक्टर संधू अपने अपने स्तर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट मानस खंड, जागेश्वर धाम को विश्व पर्यटन मानचित्र में लाने को कियान्वयन किये जाने हेतुमास्टर प्लान के कार्यों की समीक्षा की।

मुख्य सचिव डाक्टर एस० एस० सिन्धु

राज्य पर्यटन सचिव सचिन कुर्वे भी जागेश्वर पहुंचे हुए थे। जागेश्वर पहुंचने पर पुजारी प्रतिनिधि पंडित नवीन चंद्र भट्ट ने शॉल ओढ़ाकर भाष्कर खुल्बे का स्वागत किया। उसके बाद उन्होंने मंदिरों में विधि विधान से पूजा अर्चना की। उन्होंने जागेश्वर धाम में मास्टर प्लान के कार्यों को निर्धारित समय पर पूर्ण करने के निर्देश अफसरों को दिए। इस दौरान उन्होंने अब तक किए गए कार्यों की प्रोग्रेस रिपोर्ट भी अफसरों से तलब की। उन्होंने बताया कि जागेश्वर मंदिर समूह को भव्य रूप प्रदान किया जाएगा।

उन्होंने अफसरों को निर्देश दिए कि मास्टर प्लान के तहत महाशिवरात्रि से पूर्व कम से कम एक मंदिर में इलुमिनेशन यानी लाइटिंग का कार्य हर हाल में होना चाहिए।पहले चरण में होनी है लाइटिंगमास्टर प्लान के तहत जागेश्वर धाम में पहले चरण में इलुमिनेशन यानी मंदिरों में लाइटिंग का कार्य होना है। ये लाइटें इटली से आनी हैं। इलुमिनेशन का करीब 11 करोड़ रुपये का टेंडर हो चुका है।

भाष्कर खुल्बे ने अफसरों को निर्देश दिए कि पहले और दूसरे चरण के कार्य जल्द पूरा करें।मंदिरों की छत को दें वास्तविक स्वरूपभाष्कर खुल्बे ने एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद मनोज सक्सेना को निर्देश दिए कि जिन प्रमुख मंदिरों की छत पर कैनोपी लगी हुई है, उसकी लकड़ी को प्राकृतिक लुक दें। लकड़ी में शिल्पकला भी दिखे। दरअसल, पंडा गोपाल दत्त भट्ट ने ये मामला उठाया था।

उन्होंने कैनोपी में लगी लकड़ियों में नीले रंग के स्थान पर वुडन रंग लगाने की मांग भाष्कर खुल्बे के समक्ष उठाई थी।मुख्य सचिव उत्तराखंड शासन डाक्टर संधू ने भी प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट जागेश्वर धाम के निर्माण का जायजा लिया।

मुख्य सचिव को लोगों ने हुये भुस्खलन की जानकारी भी दी, आवश्यक रिपोर्ट पेश‌‌ करने के मौके पर ही दिये निर्देश दिये। मुख्य सचिव उत्तराखण्ड शासन डा0 एस0एस0 संधू ने जागेश्वर धाम पहुॅचकर मंदिर परिसर में मास्टर प्लान के तहत किये जा रहे कार्यों की समीक्षा की। इस दौरान मुख्य सचिव ने मास्टर प्लान के अन्तर्गत नव निर्मित वाहन पार्किंग, इलमिगेशन (रोशनी कार्य) सहित अन्य कार्यों की जानकारी मुख्य विकास अधिकारी से ली। मुख्य सचिव ने कहा कि जागेश्वर धाम धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से काफी पवित्र धाम है। यहॉ पर देश-विदेश से श्रद्धालु आते है। उन्होंने कहा कि यहॉ पर जो भी निर्माण कार्य किया जाना है उसे समयान्तर्गत पूर्ण किया जाय। इस अवसर पर मुख्य सचिव ने जागेश्वर धाम में पूर्जा अर्चना भी की।इस दौरान लोगों द्वारा ग्राम जीरतोली में 06 परिवारों के घरों के आस-पास भूस्खलन होने से घरों को नुकसान होने की बात रखी जिस पर मुख्य सचिव ने मुख्य विकास अधिकारी को इस सम्बन्ध में रिर्पोट उपलब्ध कराये जाने के निर्देश दिये।

इस दौरान मुख्य विकास अधिकारी आंकाक्षा कोण्डे, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देवेन्द्र पींचा, प्रबन्धक जागेश्वर मंदिर समिति ज्योत्सना पंत, उपाध्यक्ष नवीन भट्ट,उप जिलाधिकारी सदर जयवर्द्वन शर्मा, एस0एस0 नग्याल, सहित अन्य लोग उपस्थित थे। चंडीगढ़ आर्किटेक्चर विद्यालय से एम आर्क कर रही वास्तुकार अनूभूति अग्रवाल ने भी अपने शोध प्रबन्ध में इस परियोजना को लिया है।

अल्मोड़ा की मूल निवासी अनूभूति अग्रवाल ने कहा कि इतने बड़े प्रोजेक्ट को गंभीरता से लेना चाहिए। जागेश्वर के क्षेत्र में भूस्खलन की घटनाएं खतरे की घंटी है। हमें बद्रीनाथ व केदारनाथ में हुये देवी आपदाओं को नहीं भूलना चाहिए साथ ही इनसे सबक ले दूरदर्शी सुनियोजित तरीके से परियोजना बनायी जानी आवश्यक है। अनूभूति का कहना है,कि उन्होंने अपने शोध के प्रथम चरण में पाया कि जागेश्वर धाम में वर्तमान में भी लोगों ने होम स्टे, होटल, रिसोर्ट बनाये है, लेकिन ड्रेनेज का इंतजाम नहीं है, जिससे पवित्र जटा गंगा दूषित हो रही है, यही जल मंदिर में शायद चढ़ाया जाता हो, जो निर्माण कार्य भी किये जा रहे हैं, वे भी पहाड़ काट कर बनाये जा रहे हैं, कहीं ऐसा न हो विकास के नाम पर विनाश को आमंत्रण दे रहे हो। एक विश्व स्तरीय प्रोजेक्ट पर इन सभी बिन्दुओं पर विचार होना चाहिए।

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