चलो बुलावा आया है सैफई थाने में सीओ ने बुलाया है जोर से बोलो जय पेसमेकर ,घोटाले का जिन्न एक बार फिर बोतल से बाहर निकलने जा रहा है।सैफई आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय का पेसमेकर घोटाला सदियों तक याद रखा जायेगा जिसके नायक डाक्टर समीरतो पिछले 7 नवंबर से जेल की चहारदीवारी में रहकर सर्दियों के सितम में हाथ सेंकने को मजबूर है तो वही अब घोटाले के बचे खलनायक भी अपने को बचाने के लिये साम दंड भेद की प्रक्रिया को अपनाने के तरीको के बिल ढूँढ़ रहे है, चूंकि जाँच अधिकारी सीओ ने अपनी तेज तर्रार गतिमान गति से विश्वविद्यालय के अधिकारियों और कर्मचारियों को अपने अधीनस्थ सिपाहियों से नोटिस तामील करवा साफ संदेश भिजवा रहे है “कि चलो बुलावा आया है सैफई सीओ ने थाने में बुलाया है”जोर से बोलो जय पेसमेकर की सब मिलकर बोलो जय सर्राफ की,प्यार से बोलो जय प्रो वीसी की।।सीओ ने की विश्वविद्यालय के अधिकारियों और कर्मचारियों पर नोटिसों की बरसात करते हुये मामले की तफ्तीश को तेज कर जिन्न बोतल से बाहर निकालने की कहावत को चरितार्थ कर दिया है।28 नवंबर को सीओ सैफई कार्यालय ने अपने पत्रांक सीओ(एस)विवे0(विविध)/23 के माध्यम से अधिकारियों/कर्मचारियों को भेजे नोटिस में उल्लेख किया कि थाना सैफ़ई में 7 फरवरी 2022 को डॉक्टर समीर सर्राफ यूपीयूएमएस सैफई के विरुद्ध सैफई थाने पर पंजीकृत मुकदमा संख्या 17/22 धारा 7,8,9,13,14 भ्रष्टाचार अधिनियम व 420,467,468,471,304 भा0दवि0 की विवेचना मुझ क्षेत्राधिकारी द्वारा सम्पादित की जा रही है जिसके सम्बन्ध में विवेचना में आपके भी अभिकथन अंकित किये जाने है,नोटिस प्रति कुलपति डॉक्टर रमाकांत यादव,एमएस डॉक्टर एस पी सिंह,जेडीएमएम,कुलसचिव,पूर्व ओएसडी जयशंकर प्रसाद,पूर्व कुलपति डॉक्टर राजकुमार,तत्कालीन वित्त नियंत्रक विजय कुमार श्रीवास्तव,पूर्व कुलसचिव सुरेश चंद्र शर्मा सहित कुछ कर्मचारियों को नोटिसों का तमगा थमाया गया है 02 दिनों में जवाब दाखिल का समय था लेकिन घोटाले के खलनायक अभी कस्मोकश में है समय व्यतीत होने के बाद सीओ ने अधिकारियों और कर्मचारियों को चेताकर संदेश दे दिया कि अब दोषियों की खैर नहीं है।इस प्रकरण में कुलपति प्रभात कुमार की भ्रष्टाचार नीति ने विश्वविद्यालय का किया बेड़ा गर्क किया है।
सूत्रों की मानें तो कुलपति प्रभात कुमार की नशे की आवो बहार प्रवत्ति ने विश्वविद्यालय को गर्त में ढकेलकर पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम के सपने के महल में भस्मासुर का रोल अदा करने में कोई कोताही नही बरती,प्रो वीसी रमाकांत यादव,एफसी विजय कुमार श्रीवास्तव, कुलसचिव चन्द्रवीर सिंह ओर एमएस एस पी सिंह की चौकड़ी की बैशाखी के सहारे पूरे विश्वविद्यालय के खजाने को लूटने में कुलपति ने महमूद गजनबी का रोल अदा करने में कोई कसर बाकी नही छोड़ी,खजाने पर आक्रमण पर आक्रमण होते रहे और दो साल में विश्वविद्यालय घोटालों और लूट का अड्डा बन गया,कुलपति प्रभात कुमार चाहते तो पेसमेकर घोटाले के आरोपी बर्षो पहले ही जेल में होते।लेकिन कुलपति पर नशा ऐसा महरबान रहा कि हर वक्त उनके ख्यालों में जाम के गिलास टकराते हुये नजर आते रहे और जाम से जाम टरकाने में एक ही सुर निकलता रहा कि “जाम हाथों में लेने की हसरत नही,मुझको पीने पिलाने की फ़ुर्सत नही,अरे मैं शराबी नही मुझको बोतल ना दो,वो नज़र से पिलाए तो मैं क्या करूँ…उल्लेखनीय है किडीएम की जाँच को ठंडे बस्ते में डाल कर धूल फांकने को मजबूर कर दिया।
बताना चाहेंगे 3 अप्रैल 2021 को तत्कालीन जिलाधिकारी श्रुति सिंह ने अपने पत्रांक 509/आर0ए0-नो0यू0आई0-पेसमेकरजांच/2021 के माध्यम से कुलसचिव यूपीयूएमएस को आदेशित किया कि संयुक्त सचिव चिकित्सा शिक्षा अनुभाग -4 लखनऊ के कार्यालय ज्ञाप 31 मार्च 2021 में उल्लेख किया गया कि यूपीयूएमएस सैफई के कार्डियोलॉजी विभाग द्वारा पेसमेकर सप्लाई करने वाली फर्म से मिलीभगत के साथ मरीजो को नॉन एमआरआई पेसमेकर लगाकर एमआरआई पेसमेकर का मूल्य लिया जाता है जिसके कारण मरीजो द्वारा यदि भविष्य में एमआरआई करायी जाती है तो उनकी जान भी जा सकती है यह कृत्य उचित नही कहा जा सकता है इसकी जाँच कराना अति आवश्यक है,शासन के इस पत्र के क्रम में जिलाधिकारी श्रुति सिंह द्वारा शासन के पत्र 31 मार्च 2021 के क्रम में नगर मजिस्ट्रेट को जाँच सदस्य नामित कर दिया,और 7 अप्रैल 2021 तक जाँच शासन को प्रेषित करने के आदेश दिया,तत्कालीन कुलसचिव सुरेश चंद्र शर्मा ने इतने गंभीर प्रकरण की जाँच को AAO मिथलेश दीक्षित को प्रेषित कर दिया जिनको उस क्षेत्र का ज्ञान तक नही,इतनी हीलाहवाली से साफ जाहिर है कि हमाम में सब नंगे।आज तक इस शासन की जाँच का कोई अता पता नही। लेकिन अब जिस प्रकार जांच अधिकारी तेजी से मामले में तफ्तीश कर रहे हैं, कोई प्रभाव नहीं आड़े आये तो मुलजिम सलाखों के अंदर होगे(समाचार से संबंधित तथ्य अरशद जमाल , इटावा से प्राप्त हुये है, जो इस मामले को तीन साल से उजागर करने में लगें हैं, और भी दिल हिलाने वाले कारनामे है डाक्टर समीर व सैफई आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय सैफई के शेष फिर )