
उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के केन्द्रीय अध्यक्ष एडवोकेट पी सी तिवारी ने एक बयान जारी कर कहा सख्त भू कानून के नाम पर उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम के संशोधन हेतु विधानसभा में प्रस्तुत कानून को अधूरा, सतही बताते हुए कहा कि इससे उत्तराखंड में प्राकृतिक संसाधनों, जमीनों की लूट पर रोक लगाने व गंभीर संकट से गुजर रही उत्तराखंड अस्मिता को बचाने की उम्मीद नहीं की जा सकती।
यह पूरा मामला खोदा पहाड़ निकली चुहिया से अधिक नहीं है और सरकार को इस पर पुनः विचार करना चाहिए।पार्टी ने सरकार को उत्तराखंड की अस्मिता, अवधारणा की रक्षा के लिए बहुमूल्य सुझाव दिए थे पर सरकार ने उन पर अब तक गौर नहीं किया।पार्टी ने राज्य बनने के विभिन्न संस्थाओं, व्यक्तियों, उद्योगों को आवंटित जमीनों, अनुमतियों को लेकर श्वेत पत्र जारी करने और इसमें लिप्त अधिकारियों, कर्मचारियों के ख़िलाफ़ कार्यवाही करने की मांग की है।
पी सी तिवारी ने कहा कि यदि उत्तराखंड की सरकारें राज्य बनने के बाद भूमि बंदोबस्त, चकबंदी के साथ हिमाचल प्रदेश व सभी हिमालयी राज्यों की तरह बाहरी लोगों व गैर किसानों द्वारा कृषि भूमि खरीद पर रोक लगाती तो स्थितियां इतनी गंभीर नहीं होतीं। अब इस महत्वपूर्ण कार्य को तत्काल पूर्ण करना चाहिए।
पार्टी ने उत्तराखंड में गांवों को बड़े पैमाने पर नगर निकायों में शामिल करने की नीति का विरोध करते हुए कहा कि इससे राज्य के संसाधनों पर बड़े पूंजीपतियों, माफियाओं व बाहरी लोगों के हाथों में जाना तय है।
सशक्त भू कानून का मुख्य उद्देश्य उत्तराखंड के मूल निवासियों और यहां के समाज को अपनी खेती किसानी और प्राकृतिक संसाधनों पर पहला हक देना और उनकी आजीविका की व्यवस्था को सुनिश्चित करना है किंतु इस बारे में सरकार की कोई स्पष्ट नीति सामने नहीं आ रही है जिस कारण जनता में आक्रोश व्याप्त है।
