सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय परिसर अल्मोड़ा द्वारा “हिमालियन लोक संस्कृति”विषय पर आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का समापन समारोह सम्पन्न हो गया हैसमापन समारोह के अवसर पर मुख्य वक्ता स्वीटजरलैंड के ( मूल निवासी जिन्होंने अब भारत की नागरिकता ले ही है) स्वामी आशुतोष( उर्स स्ट्रओवएल)ने भारतीय योग, वेद, आत्म योग साधना आदि पर‌ अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने के कहा भारत में देवत्व की साधना है। उन्होंने कवच को देवत्व शक्ति बताया, तथा वेद की व्याख्या की।

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स्वामी आशुतोष कोसानी में अनामय आश्रम का संचालन विगत चालिस वर्ष से कर रहे हैं, जहां वेद, योग आदि साधना, शिक्षा दी जा रही है। प्रोफेसर आर एस राणा ने अपने सम्बोधन में हिमालय संस्कृति पर प्रकाश डाला, कहा हिमालय की लोक संस्कृति को व्याख्यान शब्दों में नहीं किया जा सकता यह एक सुखद अनुभव है।

अपने सम्बोधन में कहा परिसर निदेशक डाक्टर प्रवीण बिष्ट ने कहा भारत व उत्तराखंड की संस्कृति बहुत धनी हैं मंदिर, लोक नृत्य, आदि, इतना ही नहीं अलमोडा़ की रामलीला की भी अन्तर्राष्ट्रीय पहचान है, संस्कृति को संरक्षित करने की आवश्यकता है।कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे पद्म श्री ललित पांडेय नेकहा हिमालय लोक संस्कृति पर आयोजन सराहनीय है। किन्तु धरातल में बहुत कठिन है।बंद कमरों में आयोजन सिर्फ एक दिशा निर्देश तक सीमित रह सकते हैं , आधुनिक परिवेश में संस्कृति को बचायें रखना काफी मुश्किल है।

जीन्स पहनावा क्या छोलिया को संरक्षित रख सकता है। पहाड़ों की महिलाओं के सिर पर घास के बोझ संस्कृति नहीं अपितु विवशता है, पलायन संस्कृति को कैसे रोक सकता है। ये सब बिषय है, जिन पर सोचना होगा।कार्यक्रम संयोजक सचिव डाक्टर गोकुल देवपा ने बताया इस सेमिनार में दस विदेशी प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया, राष्ट्रीय स्तर के तीस प्रतिभागियों ने भाग लिया इसके अतिरिक्त पूरे सेमिनार में चार सौ प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया दो सौ से अधिक शोध छात्र ने प्रतिभाग किया प्रकाशित स्मारिका में दो से अधिक सार संक्षेप प्रस्तुति की गयी है, उच्च गुणवत्ता वाले शोध पत्रों को जनरल के रूप में प्रकाशित किया जाएगा।इस आयोजन में विभागाध्यक्ष डॉ वी डी एस नेगी, डाक्टर गोकुल देवपा, सहित अनेक लोगों ने भाग लिया। कुल आयोजन में बारह सत्र में दो सौ से अधिक शोध पत्र पड़े गये। इस आयोजन में परिसर निदेशक डॉ प्रवीण बिष्ट सहित अनेक लोगों को सम्मानित किया गया।

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