पलायन से लड़ना है तो हमें स्वरोजगार को अपनाना होगा। देहरादून के रहने वाले मनोज सेमवाल यही कर रहे हैं।मनोज ने ड्रैगन फ्रूट की खेती को अपने रोजगार का जरिया बनाया और आज वो सफल मॉडल पेश कर दूसरों के लिए तरक्की की मिसाल बन गए हैं। मनोज सेमवाल नवादा में रहते हैं। उन्हें ड्रैगन फ्रूट की खेती का आइडिया कैसे मिला, इसके पीछे एक गजब कहानी है।

पीएम मोदी को भी बेहद पसंद आया यह फल मनोज बताते हैं कि साल 2017 में जब पीएम नरेंद्र मोदी उत्तराखंड दौरे पर आए थे तो जिस होटल में उनके भोजन का इंतजाम था, वहां उन्होंने ड्रैगन फ्रूट को पहली बार देखा। पीएम मोदी को यह फल पसंद है। इस तरह मनोज की इस फल में रुचि पैदा हुई और उन्होंने इसकी जानकारी जुटाना शुरू कर दिया।

कई साल की रिसर्च के बाद उन्होंने साल 2021 में चंडीगढ़, गुजरात और वियतनाम से ड्रैगन फ्रूट के 250 पौधे मंगाए, और आज ये पौधे ड्रैगन फ्रूट से भरे नजर आ रहे हैं। इसकी फसल दो साल में तैयार हो जाती है। अच्छी तरह देखभाल की जाए तो एक बार पौधा लगाने पर 25 से 30 साल तक कमाई हो सकती है।

ड्रैगन फ्रूट काफी महंगा फल है। इसकी कीमत 150 से 200 रुपये किलो तक होती है। ड्रैगन फ्रूट की खूबियां भी बताते हैं। इसमें विटामिन सी, विटामिन बी1, बी2, बी3 और एंटी कार्सिनोजन एजेंट्स पाए जाते हैं।

इसके सेवन से बैड कोलेस्ट्रोल कम होता है और अच्छे कोलेस्ट्रोल को बढ़ाने में मदद मिलती है। कैंसर रोगियों, प्रेग्नेंट महिलाओं, शुगर पेशेंट और ज्वाइंट पेन से जूझ रहे लोगों के लिए ड्रैगन फ्रूट बेहद फायदेमंद होता है। एक ड्रैगन फ्रूट खाने से 8 सेब या 4 कीवी के बराबर पोषण मिलता है। ड्रैगन फ्रूट भारत का स्थानीय फल नहीं है।

यह मूल रूप से दक्षिण अमेरिकी देशों में जंगली फल के तौर पर मिलता है। मलेशिया, थाईलैंड, फिलीपींस, जापान, संयुक्त राज्य अमेरिका और वियतनाम में इसकी बड़े स्केल पर खेती हो रही है। भारत में गुजरात में बड़े पैमाने पर ड्रैगन फ्रूट उगाया जा रहा है। मनोज सेमवाल कहते हैं कि उत्तराखंड में ड्रैगन फ्रूट की खेती युवाओं के लिए आय का बेहतर जरिया बन सकती है। अगर किसी के पास खाली जमीन है तो वहां ड्रैगन फ्रूट की खेती कर अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है।

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