राष्ट्रव्यापी ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के अंतर्गत, भाकृअनुप -विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा के वैज्ञानिकों ने कृषि एवं संबद्ध विभागों के अधिकारियों के साथ मिलकर जिले के विभिन्न गांवों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये ।

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इस दौरान पर्वतीय कृषकों को वैज्ञानिक कृषि पद्धतियों तथा केंद्र एवं राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी गई। अभियान के पहले दिन तीन अलग-अलग दलों ने स्याल्दे, सल्ट और चौखुटिया विकासखंडों का दौरा किया तथा कुल 17 गांवों के कृषकों से संवाद किया। स्याल्दे ब्लॉक में डॉ. अशोक, डॉ.जय प्रकाश आदित्य एवं श्री धीरज दुबे के नेतृत्व में टीम ने कृषि, बागवानी, पशुपालन एवं रेशम विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर पंचायत घर, तमाधौं, न्याय पंचायत – पैठाना में गोष्ठी आयोजित की। इस कार्यक्रम में वलमरा, कैहड़गांव एवं उदयपुर गांवों के किसान शामिल हुए। दूसरी गोष्ठी न्याय पंचायत भरसोली में आयोजित की गई, जिसमें सूमोली, बसनाल और कोटसारी गांवों के किसान शामिल हुए।

इन गोष्ठियों में किसानों को खरीफ फसलों की उन्नत किस्मों, उत्पादन एवं फसल सुरक्षा तकनीकों, और पर्वतीय क्षेत्रों के लिए विशेष रूप से विकसित कृषि यंत्रों एवं उपकरणों की जानकारी दी गई। सल्ट ब्लॉक में डॉ. आर. के. खुल्बे, अमित कुमार और श्री डी. एस. पंचपाल ने तराड़, सोली और ढडरिया गांवों का दौरा किया। रेखीय विभागों के अधिकारियों के साथ मिलकर उन्होंने किसानों के साथ बातचीत की और खेतों का निरीक्षण कर स्थानीय कृषि परिस्थितियों का निरीक्षण किया।

किसानों ने पानी की कमी और बंदर व जंगली सूअरों द्वारा फसलों को नुकसान पहुंचाने की समस्याएं साझा कीं। टीम ने किसानों को खरीफ फसलों की उन्नत प्रजातियों, मंडुआ की रोपाई विधि और फसल सुरक्षा उपायों की जानकारी दी।चौखुटिया ब्लॉक में डॉ. डी. सी. जोशी, डॉ. प्रियंका खाती और डॉ. देवेंदर शर्मा की टीम ने धौन, भटकोट, रीठाचौड़ा, तलै, नौगांव, अखोड़िया, बसभीड़ा और गड़सारी सहित आठ गांवों के लगभग 80 किसानों से दो कार्यक्रमों के माध्यम से संवाद किया। टीम ने वैज्ञानिक खेती के महत्व पर बल देते हुए उच्च उत्पादकता वाली खरीफ फसलों की खेती एवं उनके उत्पादन व संरक्षण तकनीकों की जानकारी दी।

हवालबाग ब्लॉक में एक विशेष गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें 32 गांवों के 151 किसान शामिल हुए। इस कार्यक्रम में खरीफ फसलों की खेती, दुर्लभ एवं अधिक मूल्य वाली बागवानी फसलों की संभावनाएं, उद्यमिता विकास, राज्य और केंद्र सरकार की विभिन्न कृषि योजनाएं, नैनो यूरिया का उपयोग और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना जैसे विषयों पर चर्चा की गई। सभी कार्यक्रमों के दौरान, विभिन्न विभागों के अधिकारियों ने किसानों को कृषि से संबंधित केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं की जानकारी दी और इन योजनाओं के लाभ उठाने में आ रही समस्याओं के समाधान पर चर्चा की।

साथ ही, किसानों से प्रतिक्रिया भी प्राप्त की गई, जिससे भविष्य में उनकी आवश्यकताओं के अनुसार योजनाएं तैयार की जा सकें। यह पहल पर्वतीय क्षेत्रों में वैज्ञानिक कृषि तकनीकों के माध्यम से कृषकों को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे समावेशी विकास और टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा मिलेगा।

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