अल्मोड़ा। भले ही आज के दौर में अधिकतर लोग स्वार्थी हो चुके हों, उन्हें खुद से ही मतलब रहता हो और अपने ही हित साधने में लगे रहते हों।

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वहीं समाज में आज भी कुछ ऐसे लोग हैं जो निस्वार्थ भाव से असहाय, वंचित और जरूरतमंदों की सेवा में जुटे रहते हैं। ऐसा ही एक नाम है कल्याण मनकोटी। शिक्षण और जनकल्याणकारी कार्यों की बदौलत ही उन्हेेंं राष्ट्रपति पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।

वर्तमान में जनपद अल्मोड़ा के भैसियाछाना ब्लॉक के जूनियर हाईस्कूल चनौली में अध्यापन का कार्य कर रहे शिक्षक कल्याण मनकोटी बच्चों को पढ़ाने, उन्हें आगे बढ़ाने का काम तो कर ही रहे हैं साथ ही वे समाज के तमाम ऐसे लोगों की मदद भी करते आ रहे हैं जो समाज के वंचितए शोषित और असहाय लोग हैं।

अब उन्होंने समाज के लिए एक और मिशाल पेश करते हुए जिला मुख्यालय से 50 किमी दूरी पर ग्राम पंचायत चमुवा खालसा के गौनाड़ी तोक में रहने वाली असहाय,ए जरूरतमंद, बुजुर्ग महिला गोपुली देवी के लिए मदद सामग्री पहुंचाई है।

शिक्षक कल्याण मनकोटी ने बताया कि दो दिन पूर्व उन्होंने दीवान कार्की के फेजबुक पोस्ट पर ग्राम पंचायत चमुवा खालसा के गौनाड़ी तोक में रहने वाली गोपुली देवी की पोस्ट को पढ़ा।

पोस्ट को पढ़कर इस बुजुर्ग और असहाय महिला की हालत देखकर वे काफी व्यथित हुए और उसी समय गोपुली देवी तक कुछ जरूरी सामान भेजने के लिए कदम उठाया। मनकोटी ने अपने कुछ साथी मित्रों के साथ इसकी चर्चा करते हुए दैनिक उपयोग में आने वाला कुछ जरूरी सामान उन तक पहुंचाया है।

उन्होंने बताया कि दीवान कार्की व गांव के कुछ अन्य लोगों से बात करने पर पता चला कि गोपुली देवी का घर टूटा हुआ है। बाबा आजम के जमाने का घर काफी पुराना और जीण.क्र्षीर्ण हो चुका है। बरसात में छत टपकती रहती है। घर के अंदर की पाल और दीवारें भी टूट चुकी है। उसे वृद्धावस्था या विकलांक पेंशन भी नहीं मिल रही है।

आधार और राशन कार्ड भी नहीं हैं। खाना बनाने के बर्तन भी टूट फूट चुके हैं, सोने के लिए ढंग का बिस्तर भी नहीं है। घर में उजाला करने के लिए एक लैंप तक नहीं है।

उज्जवला योजना या स्वच्छ भारत अभियान के तहत मिलने वाले रसोई गैस या टॉयलेट की बात तो बहुत दूर की है, उसे सरकार की ओर से गरीबों व वंचितों को मिलने वाली कोई भी मदद नहीं मिल पा रही है और न ही उसे इन योजनाओं के बारे में ही कोई जानकारी है।

शिक्षक कल्याण मनकोटी ने गोपुली देवी तक आवश्यक सामान भेजते समय फेसबुक पर एक पोस्ट भी की है जिसमें उन्होंने बेजुबान, बुजुर्ग गोपुली देवी की आवाज बनकर पूछा भी है- मेरी वृद्धावस्था पेंशन कहां है? मेरा आवास कहां है?

कैसे कटे बुढ़ापा, कैसे करे बात, न जुबान है न सरकारी मदद मालूम हो कि ग्राम पंचायत चमुवा खालसा के गौनाड़ी तोक में रहने वाली गोपुली देवी जन्म से ही न तो सुन पाती थी और न ही बोल पाती थी। इसे उसका दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि मॉ.बाप के देहांत के बाद गोपुली देवी का इकलौता भाई भी नहीं रहा। तब से गोपुली देवी अकेला जीवन यापन कर रही है।

75 साल की हो चुकी गोपुली देवी ने जवानी में लोगों के साथ काम करके अपना जैसे तैसे जीवन यापन तो कर लिया लेकिन अब बुढ़ापा में वह असहाय बन गई है। गोपुली देवी अपनी बात लोगों से कह भी नहीं सकती है और न ही वह लोगों की बात सुन सकती है।

ऐेसे में बुढ़ापा उसके लिए बहुत कठिन हो गया है। सरकार की ओर से दी जाने वाली किसी भी प्रकार की मदद उसे नहीं मिल पा रही है। इस बात की न उसे कोई जानकारी है न ही वह किसी से मदद के लिए बोल पाती है।

घर में नया सामान देख खुश हो गई गोपुली दी अपने गांव के भाईयों को उसके लिए सामान लाता देख गोपुली देवी बहुत खुश हो गई। शिक्षक कल्याण मनकोटी ने गोपुली देवी के लिए कुछ जरूरी सामान भेजने के लिए गांव के ही प्रताप सिंह, आनंद सिंह और सूरज सिंह से संपर्क किया।

जब ये लोग सामान लेकर गोपुली देवी के घर पहुंचे तो सामान और नए कपड़े देखकर गोपुली देवी बहुत खुश नजर आई। भले ही वह कुछ बोल नहीं पाती और कुछ सुन नहीं पाई। लेकिन इशारों ही इशारों में उसने मदद के लिए अपना आभार जता दिया।

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