उत्तराखंड के राष्ट्रीय राजमार्ग-109 पर स्थित क्वारब क्षेत्र की पहाड़ी, जो अक्सर मलबा गिरने की वजह से सुर्खियों में रहती है, अब एक नई तकनीक के जरिए राहत देने जा रही है। इस बार पारंपरिक उपायों की जगह ‘बर्म तकनीक’ का इस्तेमाल किया जा रहा है।

राष्ट्रीय राजमार्ग खंड रानीखेत के अधिशासी अभियंता अशोक कुमार ने बताया कि इस तकनीक के तहत पहाड़ी पर सीढ़ीनुमा मेड़ें बनाई जाएंगी। खेतों की मेड़ जैसी इन संरचनाओं से बारिश का पानी सीधे सड़क पर न आकर धीरे-धीरे नीचे की ओर बहेगा। इससे मिट्टी और पत्थर मेड़ों में ही रुक जाएंगे और सड़क पर मलबा आने की समस्या काफी हद तक कम हो जाएगी।अधिकारियों का कहना है कि काम को तीन दिनों के भीतर पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके बाद मार्ग पर यातायात बिना रुकावट संचालित किया जा सकेगा।
अब तक इस क्षेत्र में हर बरसात के दौरान घंटों तक सड़क बंद रहती थी, जिससे स्थानीय लोगों और पर्यटकों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था।सड़क तकनीकी विशेषज्ञों के अनुसार, बर्म तकनीक न केवल किफायती है बल्कि पर्वतीय इलाकों में मलबा नियंत्रण के लिए स्थायी समाधान भी साबित हो सकती है।
यदि यह प्रयोग सफल रहा, तो इसे राज्य के अन्य संवेदनशील मार्गों पर भी लागू करने पर विचार किया जाएगा।करीब एक साल से लगातार क्वारब की पहाड़ी से मलबा गिरना बड़ी चुनौती बनी हुई थी। ऐसे में यह पहल सड़क सुरक्षा और यातायात सुगमता की दिशा में अहम कदम मानी जा रही है।


