( अल्मोड़ा मुख्यालय में प्रभात फेरी, माल रोड में पंडित गोविंद बल्लभ पंत पार्क में माल्यार्पण, जन्मस्थली खूंट, व पंडित गोविंद बल्लभ पंत हिमालय पर्यावरण संस्थान कोसी में अनेक कार्यक्रम आयोजित किए गए)
भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत की जयंती अलमोडा़ में धूमधाम से मनायी गयी। कार्यक्रम की शुरुआत प्रभात फेरी से की गयी।पंत पार्क में पं0 गोविन्द बल्लभ पंत की मूर्ति पर मल्यार्पण किया गया जिसमें नगर के कई गणमान्य व्यक्तियों द्वारा प्रतिभाग किया गया। कार्यक्रम में पं0 गोविन्द बल्लभ पंत के जीवन वृत्त पर प्रकाश डालते हुए लोगों ने कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। कार्यक्रम में वक्ताओं ने पं0 गोविन्द बल्लभ पंत का भावपूर्ण स्मरण करते हुए पंत जी द्वारा देश को नई दिशा देने के साथ ही कुली बेगार प्रथा तथा जमींदारी उन्मूलन के लिए निर्णायक संघर्ष का अग्रदूत कहा।
वक्ताओं ने कहा है पंत जी ने समाज में व्याप्त अनेक बुराईयों को मिटाने में अहम भूमिका निभाई थी। वक्ताओं ने कहा कि उनका संघर्षशील एवं प्रेरणादायी नेतृत्व देश एवं प्रदेशवासियों के लिए प्रेरणादायी रहेगा। इस कार्यक्रम में बारामंडल विधायक मनोज तिवारी, महापौर अजय वर्मा, पूर्व पालिकाध्यक्ष प्रकाश चन्द्र जोशी सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे
पंडित गोविंद बल्लभ पंत की जन्मस्थली खूँट, अल्मोड़ा में धूमधाम से मनाई गयी।
इस अवसर पर सांसद एवं माननीय केंद्रीय राज्य मंत्री अजय टम्टा जी, पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह चौहान, पूर्व विधायक कैलाश शर्मा ने पंडित पंत जी की जन्मस्थली खूँट पहुँचकर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण किया और वहाँ आयोजित कार्यक्रम में प्रतिभाग किया।
इस अवसर पर सांसद एवं केंद्रीय राज्य मंत्री अजय टम्टा जी ने कहा—
“पंडित पंत जी ने न केवल स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी भूमिका निभाई, बल्कि आज़ाद भारत की नीतियों और दिशा को भी गहराई से प्रभावित किया। उनका सरल व्यक्तित्व, जनसेवा के प्रति समर्पण और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति आस्था आने वाली पीढ़ियों को सदैव मार्गदर्शन देती रहेगी। पंत जी ने जिस सादगी और निष्ठा के साथ जनहित को सर्वोपरि रखा, वह आज के जनप्रतिनिधियों और कार्यकर्ताओं के लिए अनुकरणीय है।
उन्होंने ग्रामीण अंचलों के विकास, शिक्षा के प्रसार और सामाजिक न्याय को प्राथमिकता देकर एक ऐसी आधारशिला रखी, जिस पर आधुनिक भारत की इमारत खड़ी है। राजनीति का वास्तविक उद्देश्य सत्ता नहीं, बल्कि समाज की सेवा है—यह संदेश हमें उनके जीवन से मिलता है।”
कार्यक्रम में नगर के सभी विद्यालयों के बच्चों ने रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से पंत जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व को उजागर किया।
इस अवसर पर प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री जी का संदेश भी पढ़ा गया, जिसमें उन्होंने पंडित गोविंद बल्लभ पंत जी को नमन करते हुए कहा कि उनके आदर्श, त्याग और राष्ट्र सेवा की भावना हम सभी के लिए प्रेरणास्रोत हैं।समारोह में जिला प्रशासन एवं सामाजिक संगठनों की सक्रिय भागीदारी रही और पूरे कार्यक्रम में श्रद्धा, उत्साह और गरिमा का वातावरण बना रहा।
पर्यावरण संस्थान में मनाया गया वार्षिकोत्सव समारोह
भारत रत्न पं. गोविन्द बल्लभ पंत जी के 138वें जन्मदिवस एवं गोविन्द बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान, कोसी- कटारमल, अल्मोड़ा के स्थापना दिवस समारोह का शुभारम्भ माननीय सांसद अजय टम्टा जी एवं कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथियों द्वारा पं. गोविन्द बल्लभ पंत जी की मूर्ति पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलन द्वारा किया गया।
कार्यक्रम के आरम्भ में संस्थान के निदेशक डा० आई०डी० भट्ट ने सभी अतिथियो का स्वागत कर संस्थान की गतिविधियों पर प्रकाश डाला।
संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा० अशोक कुमार साहनी ने 31वें पं. गोविन्द बल्लभ पंत स्मारक व्याख्यान के वक्ता डा० जी०एस० रावत, पूर्व निदेशक वाडिया भूविज्ञान संस्थान देहरादून का परिचय देते हुए उनके शोध कार्यों का जीवनवृत्त दिया।
इसके उपरान्त डा० जी०एस० रावत ने “भारतीय परा हिमालय के चारागाही क्षेत्र: परितंत्रीय सेवाओं और पशुचारण आधारित आजीविकाओं की निरन्तरता” विषय पर संस्थान का 31वां पं. गोविन्द बल्लभ पंत स्मारक व्याख्यान प्रस्तुत किया। अपने व्याख्यान में उन्होंने हिमालयी क्षेत्रों में चरागाही क्षेत्रों और मानव जीव संघर्ष कि बारीकियों से अवगत कराया। उन्होंने परा हिमालय के चारागाही क्षेत्रों की प्रमुख विशेषताओ से अवगत कराया. उन्होंने भारतीय हिमालयी क्षेत्र के लद्दाख, चांगथांग, लाहौल–स्पीति, किन्नौर तथा उत्तरी सिक्किम के रेंजेलैण्ड की स्थिति पर चर्चा करी।
अपने अध्यक्षीय भाषण में सांसद एवं कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री अजय टम्टा जी ने संस्थान द्वारा चलाये जा रहे आजीविका वर्धन में सहायक तथा शोध कार्यों की प्रशंसा की तथा कहा कि पं. गोविन्द बल्लभ पन्त द्वारा देश, समाज व मानव कल्याण के लिए किये गये कार्यों को हमें आत्मसात करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि पं. गोविन्द बल्लभ पंत जैसे प्रखर और संघर्षशील नेता की जन्मस्थली में स्थित संस्थान आज अपने शोध और विकास कार्यो को वैश्विक स्तर पर फैला रहा है जो हम सबके लिए गौरव की बात है। उन्होंने कहा कि वनाग्नि से प्रतिवर्ष सैकड़ो जीव जंतुओं और वनस्पतियों को नुकसान पहुँचता है और उनके जीवन को प्रभवित करता है।
उन्होंने संस्थान से वनाग्नि की रोकथाम हेतु उचित दिशानिर्देश और कार्ययोजना बनाने की भी अपील की। उन्होंने सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रो के विकास हेतु वाइव्रेंट विलेज इत्यादि योजनाओं इत्यादि से भी सबको अवगत कराया।
कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि अतिथि वक्तव्य में डा. राजेन्द्र डोभाल, कुलपति, स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय, देहरादून ने हिमालय में दीर्घकालिक जलवायु मॉडलिंग और खगोल-भौतिकीय अध्ययनों के समन्वय की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक आपदा जो आज चिंता का विषय बनी हुई है पर हमें काफी शोध कार्य करने की आवश्यकता है.
कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि पद्मश्री डा. अनूप साह, प्रख्यात प्रकृति छायाकार ने दुर्लभ एवं स्थानिक प्रजातियों की गैलरी निर्माण, स्थानीय ज्ञान के संरक्षण तथा बाल–युवाओं में प्रकृति चेतना के कार्यक्रमों पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पाए जाने वाले महत्वपूर्ण पेड़ पौधों और उनके डेटाबेस को संकलित कर उन्हें धरोहर के रूप में संजोने की आवश्यकता की बात की. उन्होंने युवाओं को प्रकृति के बीच जाकर प्रकृति से सीखने की आवश्यकता की बात कही.
कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि प्रो. एस.पी. सिंह, पूर्व कुलपति, एच.एन.बी. गढ़वाल विश्वविद्यालय ने हिमालयी अनुसंधान को वैश्विक नेटवर्क से जोड़ने, सहयोगात्मक शोध तथा स्थानीय समुदायोन्मुख अनुसंधान की आवश्यकता पर बल दिया।
कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि श्री आलोक पाण्डे, जिलाधिकारी, अल्मोड़ा ने संस्थान एवं इसके द्वारा विकसित सूर्यकुंज मॉडल की भूरि-भूरि प्रशंसा की. उन्होंने कहा कि संस्थान द्वारा विकसित यह मॉडल अल्मोड़ा एवं सम्पूर्ण उत्तराखंड में पर्यटन को बढ़ावा देने में मील का पत्थर साबित होगा जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी प्रदान होंगे. उन्होंने उत्तराखंड के स्थानीय जंगली फलों यथा हिशालू, काफल के उत्पादन को बढ़ाने और इसे बाज़ार परक बनाने की आवश्यकता पर बल दिया.
कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि अल्मोड़ा के पूर्व विधायक एवं भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष श्री कैलाश शर्मा ने संस्थान के विकास कार्यों की सराहना की और कहा कि हिमालय पर कार्य करने में संस्थान ने अपनी स्थापना से लेकर आज तक काफी उत्कर्ष कार्य किये। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिको द्वारा बनायीं गयी नीतियों को समाज में आत्मसात करने की अति आवशकता है जिस हेतु पर्यावरण संस्थान उल्लेखनीय कार्य कर रहा है।
इसके उपरान्त संस्थान के निदेशक महोदय द्वारा शुरू की गयी नयी पहल के माध्यम से विगत वर्ष में सर्वश्रेष्ठ कार्य करने वाले शोधार्थियों और कर्मचारियों को पुरुस्कृत किया गया. तदोपरान्त विशिष्ट अतिथियों के माध्यम से संस्थान के नए प्रकाशनों का भी विमोचन किया गया.
इस कार्यक्रम में पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार की संयुक्त सचिव सुश्री नमिता प्रसाद, वैज्ञानिक डा. सुसेन जॉर्ज, डा. एस.के. नन्दी, प्रो. जे.सी. कुनियाल ऑनलाइन माध्यम से तथा अल्मोड़ा के मेयर श्री अजय वर्मा, डी.एफ.ओ. अल्मोड़ा, पद्मश्री डा. ललित पाण्डे, प्रो. आर.के. मैखुरी, प्रो. जे.एस. रावत, प्रो. एल.एम तिवारी, प्रो. पी.के. सामल, प्रो. सी.एम. शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार श्री पी.सी. तिवारी, डा. जी.सी.एस. नेगी, डा. एस.एस. सामन्त, डा. नवीन जोशी सहित संस्थान के समस्त वैज्ञानिकों, शोधार्थियों एवं कर्मचारियों समेत लगभग 250 प्रतिभागियों और गणमान्य व्यक्तियों नें प्रतिभाग किया। कार्यक्रम का संचालन डा. प्रतीक्षा जोशी एवं पर्णिका गुप्ता तथा समापन संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक ई. एम.एस. लोधी के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।


