( बढ़ता अनियंत्रित यातायात दबाब, विगत दो वर्षों से ज्यादा समय से जाम की समस्यायों से जूझ रहे क्षेत्रवासियों का कोई सुध लेवा नहीं। कितने इलाज से वंचित, कितने साक्षात्कार, भर्ती , ट्रेन छूटने के हुवे शिकार ।

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आखिर कौन लेगा जिम्मेदारी प्रशासन, पुलिस, पर्यटक , या मंदिर कमेटी नैनीताल जनपद के भवाली क्षेत्र में विश्व सुप्रसिद्ध नीब करोरी महाराज केश्री कैंचीधाम में पर्यटकों व भक्तों के अनियंत्रित यातायात के चलतेलगने वाला भारी जाम एक बार फिर किसी की जिंदगी पर भारी पड़ गया।

रविवार, 8 जून को बेतालघाट ब्लॉक के धनियाकोट चौक बाजार निवासी 40 वर्षीय युवक जगमोहन सिंह की तबीयत अचानक बिगड़ गई। समय पर इलाज न मिलने और एम्बुलेंस के घंटों जाम में फंसे रहने के कारण अस्पताल पहुंचने से पहले ही उसकी मौत हो गई।जगमोहन सिंह अपने गांव में जनरल स्टोर चलाते थे। रविवार शाम उन्हें अचानक खून की उल्टियां होने लगीं। परिजनों ने तुरंत 108 एम्बुलेंस को कॉल किया।

सुयालबाड़ी से एम्बुलेंस पहुंची और मरीज को गरमपानी सीएचसी ले जाया जाने लगा, लेकिन रास्ते में ही एम्बुलेंस खराब हो गई।( चरमराती स्वास्थ्य सेवाओं की एक और बानगी देखिए)मरीज की हालत की गंभीरता को देखते हुए सीएचसी के चिकित्सा प्रभारी डॉ. सतीश पंत के प्रयासों से 4:30 बजे एक निजी एम्बुलेंस से मरीज को हल्द्वानी भेजा किन्तु दुर्भाग्यवश, यह एम्बुलेंस कैंचीधाम के पास भयंकर जाम में फंस गई, जहां कई घंटे तक मरीज और परिजन बेबस इंतजार करते रहेकैंचीधाम में जाम बना मौत का कारण, समय पर अस्पताल न पहुंच पाने से जग मोहन सिहकी मौत कौन है जिम्मेदार।जगमोहन को रात 9:30 बजे हल्द्वानी के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।परिजनों ने इस दर्दनाक घटना के लिए प्रशासन की लापरवाही और कैंचीधाम क्षेत्र में लगातार लगने वाले जाम को जिम्मेदार ठहराया है। जगमोहन के भाई लाभांशु पिनारी ने कहा, “अगर समय पर रास्ता मिल जाता, तो शायद मेरे भाई की जान बच जाती।

”एक बार फिर सरकार नैनीताल प्रशासन , पुलिस, व श्री कैंची धाम प्रबंधन समिति के साथ हुयी वार्ता के बाद लिए गये निर्णयों की घोषणाएं हवा-हवाई साबित हो गयी।कैंचीधाम क्षेत्र में लगातार बढ़ रही भीड़ और प्रशासनिक बदइंतजामी के चलते आए दिन मरीज, पर्यटक और स्थानीय लोग जाम में फंसकर परेशान हो रहे हैं। पिछले तीन वर्षों से सरकार द्वारा बायपास मार्ग की घोषणाएं की जाती रही हैं, लेकिन जमीन पर अब तक कोई ठोस काम नहीं हुआ। कैंची धाम के यातायात व्यवस्था, जाम आदि को लेकर उठ रहे सवालों का किसी के पास जबाब है, कौन लेगा जिम्मेदारी जनता जानना चाहती है।

*कब तक पर्वतीय क्षेत्रों में लोगों की जानें ऐसे ही जाम में फंसकर जाती रहेंगी?**क्या सरकार बायपास जैसे जरूरी प्रोजेक्ट को प्राथमिकता देगी?**तीर्थ और पर्यटन स्थलों पर व्यवस्था सुधारने के लिए क्या ठोस कदम उठाए जाएंगे?*यह घटना सिस्टम की गंभीर नाकामी की ओर इशारा करती है, जो भविष्य में और भी कई जानों पर भारी पड़ सकती है ।।

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