दृष्टि वादित केंद्र नियर टैक्सी स्टैंड में विश्व नेत्रदान दिवस धूम धाम से मनाया गया डॉ दुर्गापाल ने आँखों के देख रेख के बारे में जानकारी दी आखें है तो सवेरा है नहीं तो फिर अंधेरा ही अंधेरा है! उन्होंने आखों के देख भाल पर आम जनता से अनुरोध किया तथा उन्होंने अपील की कि नेत्रदान के लिए आगे आए। नेत्रदान मैं आगे की पुतली ही दान मैं दी जाती है जिसे कॉर्निया कहते है । एक स्वस्थ आदमी दो लोगों को नेत्रदान कर सकता है ।

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कुछ बच्चे पढ़ाई करते वक़्त स्कूल में ब्लैक बोर्ड को ठीक से नहीं देख पाते, कुछ बच्चे किताब को बहुत करीब से देखते हैं, कुछ माता बहनों को 40 के उम्र पार अख़बार को पढ़ने में परेशानी होती है और सुई में धागा डालने में भी तकलीफ़ का सामना करना पड़ता है! 40 – 50 उम्र के उस पार कुछ लोगों को दूर की वस्तुए धुंधली या आगे से कोहरा सा आ जाता है! हमें तुरंत योग्य नेत्र चिकित्साक को देखलाना चाहिये व चश्मों की जांच कराना चाहिए! विश्व में, दृष्टि वादित का सबसे बड़ा कारण (अंधता) सफेद मोतियाबिन्द है, जिसका उपचार एक छोटे से ऑपरेशन से संभव हो जाता है!अतः शीघ्र योग्य चिकित्सक की राय लेनी चाहिए!

आँखों से चश्मा हटाने का एक सरल उपाय लेजर सर्जरी हैं जो की 21 साल से 38 साल तक के रोगियों के लिए सम्भव हो जाता है,!
हमें होली, दशहरा, दिपावली पर रंगों व पटाखों से दूर रहना चाहिए,! आँखों की रोशनी बढ़ाने के लिए हरी सब्जी जैसे लाई, पालक, मैथी, मूली के पत्ते आदि सेवन, तथा लाल पीले फलो गाजर, पपीता, आम, अनार, चुकंदर व दूध का प्रयोग अधिक करना चाहिए!

मोबाइल का प्रयोग अंधेरे में कम से कम करना चाहिए अगर कर ही रहे हैं तो बार बार आँखों को , ठंडे पानी से धोना चाहिए!
आंखे हमारी अनमोल निधि हैं इन्हें धूप, धुएँ, व धूल से बचाके रखे!
गोष्टी में श्रीं हेम चंद जोशी, श्रीं आनंद सिंह, डॉ लक्ष्मन सिंह , डॉ रावत, प्रोफेसर पंत, श्रीं आनंद लोहिनी , श्रीमती आशा कर्नाटक, श्रीमती आशा पंत तथा श्रीमती मंजू जोशी, भावना नेगी, सुंदर सिंह, नीतेज बनकोटी, राखी सहदेव, रोहित सिंह, भुवन लाल श्री चंद्रमणि भट्ट,श्री शंकर दत्त भट्ट,स्वाती तिवारी,तथा हेमा डालाकोटी आदि रहे!

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