( क्षेत्रवासियों ने प्रधानमंत्री मोदी , मुख्यमंत्री धामी , आयुक्त सहित अनेकों को ज्ञापन दिया, यदि समय रहते नहीं चेते ,तो केदारनाथ की पुनरावृत्ति हो सकती है जागेश्वर में )
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट मानस खंड यात्रा के तहत अल्मोड़ा जिले के मंदिर के विकास को ले,क्षेत्र में मास्टर प्लान के तहत हो रहे सड़क चौड़ीकरण के लिए करीब 1000 देवदार के पेड़ों को काटने की तैयारी की जा रही है। कार्यदायी संस्था लोक निर्माण विभाग ने चौड़ीकरण की जद में आ रहे पेड़ों का चिह्नीकरण करना शुरू कर दिया है। क्षेत्र के लोग इसके विरोध में उतर आए हैं। उनका कहना है कि अस्था से जुड़े दारूक वन में खड़े इन पेड़ों की वे पूजा करते हैं।
जागेश्वर धाम देवदार के जंगल के बीच स्थित है। इसे दारूक वन के नाम से भी पहचान मिली है। पौराणिक मान्यता के अनुसार यही दारुक वन भगवान शिव का निवास स्थान है। धाम के विकास के लिए मास्टर प्लान को धरातल पर उतारा जा रहा है।
मास्टर प्लान के तहत आरतोला से जागेश्वर तक तीन किमी सड़क का चौड़ीकरण होना है। टू-लेन सड़क बनाने के लिए इसकी जद में आ रहे 1000 से अधिक देवदार के पेड़ों का कटान होना है। स्थानीय लोगों और व्यापारियों ने सोमवार को बैठक कर कहा कि यहां स्थित देवदार के पेड़ों को शिव-पार्वती, गणेश, पांडव वृक्ष के रूप में पूजा जाता है। ऐसे में इनका कटान नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने एसडीएम एनएस नगन्याल को भी ज्ञापन दिया।
क्षेत्र वासियों ने मुख्यमंत्री उतराखंड सरकार प्रधानमंत्री भारत सरकार को उचित माध्यम से भेजें ज्ञापन में कहा है मानसखण्ड परियोजना में शामिल पौराणिक मंदिर जागेश्वर मंदिर समुह को पुनरूद्धार मास्टर प्लान मैं शामिल किया गया है। जो कि हर्ष का विषय है।महोदय आपके संज्ञान मैं लाना है कि कुछ दिन पुर्व मैं ही आरतोला से लेकर जागेश्वर तक करीब एक हजार से अधिक पौराणिक देवदार पेड़ों पर सड़क चौड़ीकरण के लिए चिन्हित किया गया है। महोदय जागेश्वर मंदिर समूह बारह ज्योतिर्लिंगों में शामिल पौराणिक काल से है।
मानसखण्ड मैं लिखा भी है नागेशं दारूकावनै। देवदार वन मैं स्थित जागेश्वर, नागेशं।महोदय आरतोला जागेश्वर रोड के दोनों तरफ स्थित सभी देवदार के पेड़ हजारों साल से स्थित है। और स्थानीय लोग उन्हें शिव रूप में पुजते है। अनेक पेड़ों से जागेश्वर मंदिर समूह का सौन्दर्य बना हुआ है। यदि चौड़ीकरण के नाम पर इन देवदार पेड़ों को हटाया जाता है तो ये शिव की भुमि पर विकास नहीं विनाश लेकर आयेगा।
केदारनाथ त्रासदी हम देख चुके हैं। उससे प्रेरणा लेने की आवश्यकता है।वर्तमान मैं आरतोला जागेश्वर रोड से किसी भी स्थानीय या श्रद्धालु को आने जाने मैं कोई दिक्कत नहीं है।यदि सरकार/प्रशासन को विकास करना ही है तो पनुवानौला या आरतोला से बाईपास बनाकर जागेश्वर से आगे रोड को जोड़ा जा सकता है।
जिससे देवदार के वनों को कोई नुकसान नहीं होगा और गंगोलीहाट/पाताल भुवनेश्वर के लिए भी सुविधाजनक हो जायेगा।महोदय आपके पुनः संज्ञान मैं लाना है कि प्रशासन के द्वारा हो रहे पेड़ों के चिन्हीकरण से स्थानीय गांव और लोगों मैं बहुत रोष व्याप्त है। और स्थानीय लोग इन पेड़ों को हटाने नहीं देंगे। ये शिव रूप में पुजित है और हमेशा पुजते रहगे।
एक तरफ सरकार वनों को बचाने के लिए आवाहन करती है और दूसरी तरफ ऐसा विकास के नाम पर विनाश। ये कहां तक उचित हैअतः महोदय से निवेदन है कि एक बार पुनः इस पर सोचकर अन्य विकल्पो पर विकास करगे ताकि शिवरूपी देवदारों को कोई भी नुकसान नहीं हो।
अन्यथा स्थानीय लोग इस कार्यवाही का विरोध करेंगे और अपने शिवरूपी पुजित देवदार वनों को कोई भी नुकसान नहीं होने देंगे।आपसे निवेदन है कि आप एक बार अपने स्तर से निरीक्षण कर वस्तु स्थिति से अवगत हो सके।जागेश्वर का विकास जरूरी है किन्तु शिवरूपी देवदार वनों को कोई भी नुकसान नहीं होना चाहिए। नहीं तो जब शिव का तीसरा नेत्र खुल गया तो विकास नहीं विनाश का आना तय है।
ज्ञापन में मंदिर कमेटी पुजारीगण,देवेन्द्र बिंनवाल एवं स्थानीय जागेश्वर मंदिर समुह सभी पुजारी गण /स्थानीय व्यापारी/सभी जागेश्वर विधानसभा क्षेत्र के गांव/सभी कस्बे और जनप्रतिनिधि आदि के हस्ताक्षर हैं।