( देश की जानी-मानी कवित्रियों के इस मंच में अलमोडा़ के सशक्त हस्ताक्षर को भी काव्यपाठ का मौका मिला)
महिला काव्य मंच ‘ मन से मंच तक’ के तत्वाधान में अल्मोड़ा इकाई के आयोजन अंतर्गत दिनांक 13 जून 2025
( शुक्रवार ) को सायं 5:00 बजे से 6:30 बजे तक ऑनलाईन काव्य गोष्ठी गूगल मीट पर आयोजित की गई.कार्यक्रम में मुख्य अतिथि स्वरुप वरिष्ठ साहित्यकार उषा झा जी प्रतिष्ठित रहीं, विशिष्ट अतिथि शोभा पाराशर जी एवं अध्यक्षता सुप्रसिद्ध साहित्यकार हेमा आर्या ‘शिल्पी ‘द्वारा की गई. मंच संरक्षक सीमा शर्मा जी (हरियाणा ) मंचासीन रहीं..इनके अलावा गोष्ठी में आमंत्रित कवियत्रियों के रूप में,सीमा शर्मा,विनीता जोशी, वीणा चतुर्वेदी,नीलम नेगी,गीता जोशी,भावना जोशी, उमा तिवारी,चंद्रा उप्रेती,हेमा आर्या’शिल्पी’ ने सुंदर काव्यपाठ द्वारा गोष्ठी को सादगीपूर्ण भव्यता प्रदान की.गोष्ठी का सुंदर संचालन सुप्रसिद्ध कवयित्री हेमा आर्या (अल्मोड़ा) द्वारा किया गया…
- सर्वप्रथम अध्यक्ष अल्मोड़ा इकाई एवं संचालिका हेमा आर्या जी द्वारा सभी मंचासीन अतिथियों व कवयित्रियों का परिचय कराते हुए सभी का औपचारिक स्वागत किया गया.
तत्पश्चात वीणा चतुर्वेदी जी द्वारा सरस्वती वंदना से गोष्ठी का पारंपरिक शुभारंभ हुआ… - यद्यपि गोष्ठी स्वतंत्र विषय आधारित थी किंतु उपस्थित कवियत्रियों ने श्रृंगारिक,प्रकृति,भक्ति व आध्यात्म से सम्बंधित गीत काव्य, ग़ज़ल, से जुड़ी विविध विधाओं में सम सामयिक उत्कृष्ट रचनाएँ पढ़ीं (जिनमें पहाड़/अल्मोड़ा से जुड़ी रचनाओं की प्रमुखता रही)साथ ही अन्य कई सामाजिक व विभिन्न संवेदनशील पक्षों को अपनी रचनाओं द्वारा प्रकाशित किया साथ ही सम सामयिक ज्वलंत विषयों पर प्रासंगिक चर्चा भी आयोजित गोष्ठी की विशेषता रही…
- मुख्य अतिथि सम्बोधन में उषा झा जी ने सभी को अपनी शुभकामनायें व साधुवाद प्रेषित किया, प्रस्तुत सभी गीतों व काव्य पाठ की विस्तृत विवेचना करते हुए सराहना की,उन्होंने अल्मोड़ा इकाई की विदुषी कवयित्रियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि इतने सुंदर सजे मंच पर सभी रचनाएं एक से बढ़कर एक रहीं अपने विचारों के माध्यम से उन्होंने पहाड़ों विशेषकर अल्मोड़ा की खूबसूरती की चर्चा की,सभी का आभार व्यक्त किया,तत्पश्चात अपना काव्यपाठ प्रस्तुत किया…
- अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में संचालन भी करते हुए हेमा आर्या जी ने प्रत्येक प्रस्तुति पश्चात् रचनाओं पर त्वरित टिप्पणी की,अपने सुंदर काव्य पाठ से पूर्व प्रस्तुत प्रत्येक रचना की विस्तृत विश्लेक्षणात्मक समीक्षा व सभी का सुंदर मंच सजाने हेतु आभार व्यक्त किया..काव्य गोष्ठी के समापन की औपचारिक घोषणा से पूर्व इकाई अध्यक्ष व संचालिका के रूप में हेमा आर्या जी द्वारा सभी का पुनःआभार व्यक्त किया गया…
👉 कुछ सुंदर गीतकाव्यों व काव्यपाठ की झलकियाँ—
(मुखड़ा पंक्तियाँ )
- मैं करूँ आराधना आराधिका बनकर तुम्हारी
दीप प्रज्ज्वलित कर रही मैं साधिका बनकर तुम्हारी…
— वीणा चतुर्वेदी (सरस्वती वंदना) - हाँ मैं अल्मोड़ा हूँ समाये हुए हूँ कई लोक कथाएं
जन्म मेरा महाभारत काल में……
— गीता जोशी - सूना सूना लगा आज तो गाँव में
कोई बैठा नहीं बांज की छांव में
डानों कानों में चूड़ी खनकती नहीं
पायलें पांव में अब छनकती नहीं…
— विनीता जोशी - जागेश्वर के जाग तू ईश्वर आज तुझे फिर आना होगा
देवदार के वृक्ष बचाने अपना रूप दिखाना होगा…
— भावना जोशी - नारी है वो मेरे पहाड़ की झरनों सी सुंदर फूलों सी कोमल
घास सी मुलायम, गीतों में सुर साधती खेतोँ में मेढ़ बांधती…
— उमा तिवारी - जब दिल से याद करोगे तो सामने पाओगे
कभी अनजाने शहर में हमारे साथ गाये गीत गुनगुनाओगे
तो सामने पाओगे…..
— चंद्रा उप्रेती - आप की परीक्षाओं का हम सफल परिणाम हैं
कैसे भूल जाएं कि हम रचना आप रचनाकार हैं….
— नीलम नेगी - तबाही से घिरा मंजर अब देखा नहीं जाता
सूनी लाशों का सन्नाटा अब तोड़ा नहीं जाता…
— वीणा चतुर्वेदी - हम हर एक बात पर मुस्कुराने लगे
अश्क़ आँखों में अपने छुपाने लगे
ज़िंदगी का पढ़ाया था जिनको सबक
कायदे वो हमें ही बताने लगे….
— सीमा शर्मा - कैलाश पर्वत है वास जिसका, मस्तक पे जिसके….
विशाल लोचन प्रकाश जिसका……
— शोभा पाराशर - कल्पनायें कर रहा मन द्वार पर ऋतुराज आये
हो गई कुसुमित धरा है प्रेयसी का जी भरा है
तरु लता भी खिलखिलाती गीत नव कोकिल सुनाती
जागती नव कामनाएं द्वार पर ऋतुराज आये….
— उषा झा - हर नज़र एक सवाल है हर जुबाँ एक सवाल है
जो नज़र झुकी तो क्यों झुकी जो उठी तो क्यों उठी
तो कौन है जो इन सवालों का जवाब देगा
ये भी तो एक सवाल है…..
— हेमा आर्या ‘शिल्पी’ ( साभार,आख्या / रिपोर्ट प्रस्तुति /फोटो संकलन — नीलम नेगी)


