खेल और मानसिक स्वास्थ्य का संगम : पिथौरागढ़ में पॉजिटिव चेंज मेकर्स फाउंडेशन की अनूठी पहल

पिथौरागढ़। आज के दौर में खेल केवल शारीरिक क्षमता का नाम नहीं, बल्कि मानसिक दृढ़ता और सकारात्मक सोच भी सफलता की बुनियाद बन चुकी है। इसी संदेश को लेकर पॉजिटिव चेंज मेकर्स फाउंडेशन ने जिला खेल विभाग पिथौरागढ़ के सहयोग से सुरेंद्र सिंह वाल्दिया स्पोर्ट्स स्टेडियम स्थित बैडमिंटन हॉल में एक विशेष मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला में लगभग 105 बैडमिंटन खिलाड़ी, जिनकी आयु 8 से 22 वर्ष के बीच है, उत्साहपूर्वक शामिल हुए।

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विशेषज्ञों का मार्गदर्शन
इस अवसर पर फाउंडेशन के निदेशक एवं प्रमुख परामर्श मनोवैज्ञानिक हिमाँशु वर्मा और कुमायूं विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. (डॉ.) रमेश सिंह बिष्ट मुख्य वक्ता रहे। दोनों विशेषज्ञों ने खिलाड़ियों को मानसिक स्वास्थ्य, तनाव प्रबंधन और सकारात्मक दृष्टिकोण पर विस्तार से मार्गदर्शन दिया।

हिमांशु वर्मा ने खिलाड़ियों से संवाद करते हुए कहा—
“खेलों में जीत और हार दोनों परिस्थितियाँ आती हैं, लेकिन मानसिक रूप से संतुलित खिलाड़ी ही लंबे समय तक उत्कृष्ट प्रदर्शन कर पाता है। यदि खिलाड़ी अपनी भावनाओं को समझें और स्ट्रेस मैनेजमेंट की तकनीकें अपनाएँ तो उनका आत्मविश्वास और खेल प्रदर्शन दोनों बेहतर होंगे। मानसिक स्वास्थ्य कमजोरी नहीं, बल्कि एक खिलाड़ी की असली ताकत है।”

वहीं प्रोफेसर बिष्ट ने कहा—
“आज प्रतियोगी खेलों में केवल शारीरिक मेहनत काफी नहीं है। खिलाड़ी को मानसिक दृढ़ता और सकारात्मक ऊर्जा की भी आवश्यकता होती है। एकाग्रता, आत्मविश्वास और संतुलित सोच खेल के हर स्तर पर सफलता की कुंजी हैं। मानसिक रूप से मजबूत खिलाड़ी दबाव की परिस्थितियों में भी अपना श्रेष्ठ प्रदर्शन कर पाते हैं।”

कार्यशाला में खिलाड़ियों को स्ट्रेस मैनेजमेंट एक्सरसाइज और विभिन्न इंटरेक्टिव गतिविधियाँ कराई गईं। खिलाड़ियों ने अपने अनुभव साझा किए और सीखा कि कैसे मानसिक स्वास्थ्य का सीधा संबंध उनके प्रदर्शन से है। युवा खिलाड़ियों ने विशेषज्ञों से सवाल भी पूछे और स्ट्रेस मैनेजमेंट की कई उपयोगी तकनीकें सीखी।

फाउंडेशन के निदेशक हिमांशु वर्मा ने जानकारी दी कि स्वस्मै स्वल्पं समाजाय सर्वस्वम् (अपने लिए थोड़ा और समाज के लिए सब कुछ) का ध्येय लिए फाउंडेशन न केवल मानसिक स्वास्थ्य बल्कि समग्र स्वास्थ्य(शारीरिक, सामाजिक, भावनात्मक तथा आध्यात्मिक स्वास्थ्य) और समाज के विभिन्न अनछुए पर बेहद महत्वपूर्ण मुद्दों जेंडर इक्वलिटी (लैंगिक समानता), बाल अपराध नियंत्रण, शिक्षा के क्षेत्र में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों (Special Children) और मानसिक मंदता (Mental Retardation) से पीड़ित बच्चों एवं युवाओं का पुनर्वास तथा नशामुक्ति एवं सभी वर्गों के लिए काउंसलिंग सेवाएँ शामिल हैं।
फाउंडेशन का मानना है कि इन मुद्दों पर कार्य करना न केवल सामाजिक जिम्मेदारी है, बल्कि यह भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक बेहतर और संवेदनशील समाज निर्माण की दिशा में ठोस कदम है।

जिला क्रीड़ा अधिकारी अनूप बिष्ट ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि खिलाड़ियों के सर्वांगीण विकास के लिए मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना आवश्यक है। उन्होंने आशा जताई कि ऐसे कार्यक्रम लगातार आयोजित होते रहेंगे ताकि खिलाड़ियों को खेल के साथ-साथ जीवन में भी संतुलन और मजबूती मिले।
अंत में फाउंडेशन का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए
बैडमिंटन कोच भूपेश बिष्ट ने कहा कि इस प्रकार की कार्यशालाएँ खिलाड़ियों को आत्मविश्वास देती हैं और उन्हें चुनौतियों का सामना करने के लिए मानसिक रूप से तैयार करती हैं
कार्यशाला में फाउंडेशन के सदस्य चंदन, हिमांशी एवं खिलाड़ी उपस्थित रहे।

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