( जानी मानी साहित्यकार वीणा चतुर्वेदी ने कुशल संचालन कर वाहवाही बटोरी)

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अंतर्राष्ट्रीय महिला काव्य मंच ‘ मन से मंच तक’ के तत्वाधान में अल्मोड़ा इकाई के आयोजन अंतर्गत हिंदी दिवस के मौके पर दिनांक 14 सितम्बर को ऑनलाईन मासिक काव्य गोष्ठी गूगल मीट पर आयोजित की गई।कार्यक्रम में मुख्य अतिथि स्वरुप वरिष्ठ साहित्यकार पुष्पलता जोशी ‘पुष्पांजलि ‘ (अध्यक्ष महिला काव्य मंच उत्तराखंड कुमाऊ मंडल )प्रतिष्ठित रहीं, विशिष्ट अतिथि आशा बुटौला जी अध्यक्ष (बागेश्वर इकाई) एवं अध्यक्षता सुप्रसिद्ध साहित्यकार हेमा आर्या ‘शिल्पी ‘ अल्मोड़ा द्वारा की गई..इनके अलावा गोष्ठी में आमंत्रित रचनाकारों के रूप में नीलम नेगी,वीणा चतुर्वेदी,चंद्रा उप्रेती, मीनू जोशी,स्नेहलता बिष्ट, प्रेमा गड़कोटी, गीता जोशी, उमा तिवारी, सोनू उप्रेती ‘साँची ‘, विनीता जोशी आदि ने सुंदर काव्यपाठ द्वारा गोष्ठी को साहित्यिक भव्यता प्रदान की.गोष्ठी का सुंदर संचालन वीणा चतुर्वेदी वरिष्ठ कवयित्री (अल्मोड़ा) द्वारा किया गया।


उमा तिवारी जी द्वारा सरस्वती वंदना से गोष्ठी का पारंपरिक शुभारंभ किया मुख्य अतिथि सम्बोधन में पुष्पलता जी ने सभी को अपनी शुभकामनायें व साधुवाद प्रेषित किया।
👉 कुछ सुंदर गीतकाव्यों व काव्यपाठ की झलकियाँ—
(मुखड़ा पंक्तियाँ )

  • हे माँ सरस्वती ज्ञान दो वरदान दो माँ
    श्वेत कमल पर आप विराजें वीणा पुस्तक हस्त में छाजे
    रत्न किरीट मस्तक पर सोहे…
    — उमा तिवारी
  • वो बेशक़ सर पे बोझ लिये चलती है वो पहाड़ की बेटी है
    मन में मौज लिये चलती है….
    — चंद्रा उप्रेती
  • रची बसी जो रोम रोम में पुलकित कर देती है मन को
    देती समरसता का ज्ञान हिंदी है मेरा अभिमान…
    — गीता जोशी
  • हर कोई फिसला अल्मोड़े के बाज़ार में
    पान की पीक और गाय का गोबर है बाजार की शोभा
    कुत्तों को भी मॉर्निंग वॉक में अक्सर हमने देखा
    कचरा ही कचरा रे अल्मोड़े के बाजार में….
    — विनीता जोशी
  • भाषाओँ की महफिल जमी थी अंग्रेजी के साथ
    हिंगलिश भी इठलाये खड़ी थी, बेशक़ वो मर्यादा में थी
    पर सबसे अलग नज़र आ रही थी…..
    — स्नेहलता बिष्ट
  • तुझ संग पली बढ़ी खेली और
    तू मेरी जुबा पर घुलती रही मिश्री बन
    पँख पाए मैंने तुझ से आकाश में उड़ जाने को…
    — प्रेमा गड़कोटी
  • हिन्द की हिंदी हूँ मैं हिन्द की जान हूँ, मैं तेरी पहचान हूँ
    हृदय में सबके वास करती शान हूँ इंसान की
    मैं हिंदी हिंदुस्तान की…..
    — सोनू उप्रेती
  • हिंदी तुम सिर्फ भाषा नहीं सम्पूर्ण जीवन हो
    अंतर्मन की अनहदनाद और अस्तित्व की गाथा हो…
  • वह मेरी ही कोख थी जिसमें नौ माह पलकर तुमने
    जीवन की आहट महसूस की थी…
    — मीनू जोशी
  • भारत माँ की शान है हिंदी,भाषाओँ का मान है हिंदी
    देश के मस्तक पर बिंदी सी आज चमकती है हिंदी…
    — उमा तिवारी
  • अंत समय उसकी सेवा का दुर्लभ अवसर था जो
    मिल न सका औरों को ऐसा ही था कुछ वो
    अगणित तीर्थों का पुण्यफल घर बैठे मुझे दिलाया
    अंतिम दर्शन कर सारे प्रश्नों का उत्तर मैंने पाया…
    — नीलम नेगी
  • अनंत पथ पर अनंत यात्रा जीवन भी है आधा आधा
    पूर्ण नहीं है इसमें कुछ भी सबकुछ तो है आधा आधा..
    — वीणा चतुर्वेदी
  • हिंदी है संस्कृति हमारी हिंदी है पहचान हमारी
    हिंदी भाषा ज्ञान हमारी, हिंदी से है शान हमारी…
  • सृष्टि की सबसे सुंदर रचना सुकोमल और सर्वोत्तम रचना
    परन्तु यह सुंदर रचना है और अधिक कलाकार
    हर सुबह प्यार से सजती है करती है सोलह श्रृंगार…
    — आशा बुटौला
  • माता की गोदी से उतरी हिंदी तेरा साथ था
    होश संभाला जब से पाया हिंदी तेरा साया था
    तेरे ही शब्दोँ से मेरी ममता भाव उजागर था
    तू बस मेरी अपनी प्यारी जैसे सबकी हो माता….
  • एक सा बचपन सभी का एक सी है जवानी
    कोई बनता है कन्हैया कोई बनता कंस है
    मत कर यह दिखावा एक दिन तू पछताएगा
    अपनी ही झूठी चमक से तू खुद ही छला जायेगा…
    — पुष्पलता जोशी ‘पुष्पांजलि’
  • शब्दोँ में ग़र भाव न हों न हो भाव में कोई जिज्ञासा
    भावना बिना है शब्द अधूरे शब्द रूप मन की अभिलाषा…
    — हेमा आर्या ‘ शिल्पी’
  • खुलती नहीं जुबाँ कुछ तो कहके जाती हूँ
    तुम्हारे दिल में दिल का एक हिस्सा छोड़ आती हूँ…
    – वीणा चतुर्वेदी
  • आख्या/ रिपोर्ट प्रस्तुति — नीलम नेगी
    फोटो कोलाज – मीनू जोशी
    वीडियो रिकॉर्डिंग – हेमा आर्या ‘शिल्पी ‘
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